"कोर्ट और शासनादेशों की उड़ाई धज्जियाँ: सुलतानपुर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य पर गंभीर आरोप"


डॉ. सलिल श्रीवास्तव पर कोर्ट की अवमानना और शासनादेश की अनदेखी का आरोप, महिला की मौत ने खोले कई राज

विधिक आवाज समाचार | सुलतानपुर
रिपोर्ट: राजेश कुमार यादव | 15 मई 2025

राजकीय मेडिकल कॉलेज, सुलतानपुर के विवादित प्राचार्य डॉ. सलिल श्रीवास्तव एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार मामला हाईकोर्ट के आदेशों और उत्तर प्रदेश शासन के निर्देशों की अनदेखी से जुड़ा है। हनुमंत अस्पताल में एक महिला रोगी की मौत के बाद उठे सवालों ने इस पूरे नेटवर्क की परतें खोल दी हैं।

घटना की शुरुआत तब हुई जब हाईवे किनारे स्थित हनुमंत अस्पताल में इलाज के दौरान एक महिला की मौत हो गई। अस्पताल के बोर्ड पर अंकित नाम – डॉ. डीबी सिंह – सामने आया और मीडिया से बातचीत भी उन्होंने ही की। लेकिन हैरानी की बात यह थी कि इस बयान के बचाव में वही चिकित्सकीय समूह सामने आया जो पूर्व में डॉ. सलिल श्रीवास्तव के समर्थन में भी सक्रिय रहा है।

सूत्रों के अनुसार, यह समूह न सिर्फ मेडिकल कॉलेज में कार्यरत है बल्कि शहर से बाहर तराई क्षेत्र में निजी अस्पताल भी चला रहा है। इन चिकित्सकों द्वारा एक ही समय में सरकारी सेवा और निजी प्रैक्टिस किए जाने की बात सामने आई है, जो कि पूरी तरह अवैध और शासन व न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना है।

शासनादेश और कोर्ट का आदेश:
13 फरवरी 2025 को उत्तर प्रदेश शासन के विशेष सचिव देवेन्द्र कुमार सिंह कुशवाहा द्वारा एक पत्र (संख्या 86/पी.एस. (चि.स्वा.चि.शि.)/2025) जारी किया गया था, जिसमें स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि कोई भी चिकित्सा शिक्षक अथवा राजकीय चिकित्सक निजी प्रैक्टिस नहीं कर सकता। हाईकोर्ट ने 8 जनवरी 2025 एवं 10 फरवरी 2025 को दिए आदेशों में भी इस पर सख्ती से रोक लगाई थी।

कोर्ट ने प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा को यह निर्देश दिया था कि पूरे प्रदेश में इस तरह की प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टरों पर की गई कार्रवाई का ब्यौरा प्रस्तुत करें। 20 फरवरी तक जवाब माँगा गया था, लेकिन आज तक ना तो कोई कार्रवाई की गई और ना ही संतोषजनक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।

क्या कहता है मामला:
माना जा रहा है कि डॉ. डीबी सिंह और अन्य चिकित्सक, जो मेडिकल कॉलेज में पदस्थ हैं, वे निजी अस्पतालों में भी नियमित रूप से सेवा दे रहे हैं। आरोप है कि डॉ. सलिल श्रीवास्तव स्वयं भी इस नेटवर्क से जुड़े हैं, और उनका अपना निजी अस्पताल उनके ही आवासीय परिसर में संचालित होता है।

क्या है मांग:
इस पूरे मामले को देखते हुए ज़रूरी हो गया है कि शासन और प्रशासन तत्काल प्रभाव से निष्पक्ष जांच कराएं। सबसे पहले डॉ. सलिल श्रीवास्तव और डॉ. डीबी सिंह के विरुद्ध हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना और जानकारी छिपाने के आरोप में कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। साथ ही, जिले के सभी सरकारी डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस की जांच कर उनके खिलाफ कठोर कदम उठाए जाने चाहिए।

इस महिला की मौत ने जो परतें खोली हैं, वह प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा और सिस्टम के भीतर फैले भ्रष्टाचार की गंभीर तस्वीर पेश करती हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि शासन इस बार इस गंभीर मामले को कितनी संजीदगी से लेता है।
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