इंदौर। ऐतिहासिक राजबाड़ा क्षेत्र में नगर निगम के रिमूव्हल सुपरवाइजर की पोस्ट पर कब्जा जमाने के लिए इन दिनों जबरदस्त प्रतिस्पर्धा चल रही है। इस पद को लेकर नगर निगम के कई सुपरवाइजर मैराथन रेस में लगे हुए हैं। चर्चा है कि यह क्षेत्र "मालदार कुबेर क्षेत्र" माना जाता है, जहां ड्यूटी लगना यानी "पांचों उंगलियां घी में और सिर कड़ाही में" समझा जाता है।
विधिक आवाज समाचार समूह | इंदौर
पोस्ट ✍️ विश्वामित्र अग्निहोत्री|1 अप्रैल 2025
सुपरवाइजर की ड्यूटी पर दंगल शुरू!
सूत्रों के मुताबिक, एक सप्ताह पहले ही एक सुपरवाइजर को व्यापारियों से तनातनी और बिना किसी ठोस कारण के दुकानों से जबरन डमी हटाने की वजह से हटाया गया था। इसके बाद से ही इस क्षेत्र में अपनी तैनाती सुनिश्चित करने के लिए कई सुपरवाइजरों के बीच रस्साकशी शुरू हो गई है।
बिना आदेश के ही शुरू हो गई लुभाने की कोशिशें
अपर आयुक्त द्वारा अभी तक किसी भी सुपरवाइजर को अधिकृत ड्यूटी आदेश जारी नहीं किया गया है, लेकिन फिर भी करीब आधा दर्जन सुपरवाइजर इस पद को पाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। अंदरूनी खींचतान इतनी तेज़ है कि निगम के उच्च अधिकारियों के लिए भी फैसला लेना मुश्किल हो गया है।
राजबाड़ा क्यों बना लुभावना केंद्र?
इस क्षेत्र में तैनात रिमूव्हल दल के सुपरवाइजर को अटाला बाजार, निहालपुरा पीपली बाजार, शिवविलास पैलेस, सुभाष चौक, इमामबाड़ा और जबरेश्वर मंदिर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी दी जाती है। लेकिन कहा जाता है कि यह क्षेत्र निजी स्वार्थ साधने और अनैतिक लाभ कमाने का भी एक बड़ा जरिया बन चुका है। यही कारण है कि यहां पोस्टिंग के लिए नगर निगम के सुपरवाइजरों में मैराथन प्रतिस्पर्धा देखी जा रही है।
राजबाड़ा की छवि हो रही खराब
सुपरवाइजरों की इस आपसी खींचतान और पद हथियाने की होड़ के कारण राजबाड़ा क्षेत्र की छवि भी प्रभावित हो रही है। व्यापारियों और आम जनता में इस बात को लेकर असंतोष बढ़ रहा है कि प्रशासनिक व्यवस्थाएं सुनियोजित और पारदर्शी तरीके से नहीं चलाई जा रही हैं।