इंदौर: 15 वर्षीय बालिका के पेट से निकाली गई 8 किलो की गठान, एमटीएच अस्पताल के डॉक्टरों ने किया असंभव को संभव
विधिक आवाज समाचार समूह इंदौर से विश्वामित्र अग्निहोत्री की खास रिपोर्ट ✍️✍️✍️
1 अप्रैल 2025| इंदौर
गरीब परिवार की बेटी को जीवनदान, डॉक्टर सुमित्रा यादव की टीम ने किया जटिल ऑपरेशन
इंदौर के एमटीएच अस्पताल में एक दुर्लभ और चुनौतीपूर्ण सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। 15 वर्षीय रेणुका परमार के पेट से 8 किलो की विशाल गठान को निकालकर डॉक्टरों ने न केवल उसकी जान बचाई बल्कि उसे एक नया जीवन भी दिया। यह ऑपरेशन इसलिए भी खास था क्योंकि मरीज की उम्र कम थी, हिमोग्लोबिन का स्तर भी बेहद कम था और गठान के आकार के कारण उसे सांस लेने और चलने-फिरने में भारी दिक्कत हो रही थी।
गरीबी के चलते इलाज में आई बाधा, एमटीएच अस्पताल बना आखिरी सहारा
रेणुका सरदारपुर निवासी प्रकाश परमार की बेटी है। पिता ने बताया कि कई महीनों से उसकी बेटी को पेट में तेज दर्द और सूजन की समस्या थी, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वे बड़े अस्पतालों में इलाज नहीं करवा सकते थे। जब दर्द असहनीय हो गया, तो वे इंदौर के एमटीएच अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने तुरंत स्थिति की गंभीरता को भांप लिया और जांचें शुरू कीं।
MRI में सामने आई चौंकाने वाली रिपोर्ट
डॉक्टरों ने रेणुका की MRI जांच करवाई, जिसमें पाया गया कि उसके अंडाशय में 36×12×24 सेमी की विशाल गठान थी। गठान का वजन 8 किलो होने के कारण उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी। डॉक्टरों ने तत्काल सर्जरी करने का फैसला लिया, लेकिन यह एक अत्यंत जोखिम भरा ऑपरेशन था क्योंकि मरीज की उम्र कम थी और शरीर में खून की भी भारी कमी थी।
डॉ. सुमित्रा यादव और उनकी टीम ने किया असंभव को संभव
वरिष्ठ सर्जन डॉ. सुमित्रा यादव ने यह चुनौती स्वीकार की और अपनी कुशल टीम के साथ 8 किलो की इस विशाल गठान को सफलतापूर्वक निकाल दिया। इस जटिल सर्जरी में डॉ. विभा मोजेस, डॉ. सुरभि पोरवाल, डॉ. सपना चौरसिया, डॉ. झलक, डॉ. नीलम, डॉ. शिल्पी, डॉ. निशा, डॉ. यशस्वी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इसके अलावा, निश्चेतना विभाग से डॉ. शालिनी जैन, डॉ. पारुल जैन, डॉ. आर. एस. गिल, डॉ. सुदीप, डॉ. कीर्ति ने सफल एनेस्थीसिया प्रदान कर सर्जरी को आसान बनाया। वहीं, रेडियोलॉजी विभाग के डॉ. विवेक ने गठान की पहचान करने में अहम योगदान दिया।
मरीज के परिजन बोले – डॉक्टर हमारे लिए भगवान समान
ऑपरेशन के बाद रेणुका अब पूरी तरह स्वस्थ हो रही है। उसकी जान बच जाने से उसके परिवार वाले बेहद खुश हैं। रेणुका के पिता प्रकाश परमार ने कहा –
"हमारी आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि हमें लगा अब कोई उम्मीद नहीं बची। लेकिन एमटीएच अस्पताल के डॉक्टरों ने जो किया, वह किसी चमत्कार से कम नहीं है। हमें लगता था कि हमारी बेटी अब बच नहीं पाएगी, लेकिन डॉक्टर सुमित्रा यादव और उनकी टीम ने हमारे लिए भगवान का काम किया है।"
सरकारी अस्पतालों में भी हो सकता है बेहतरीन इलाज
यह ऑपरेशन इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि सरकारी अस्पतालों में भी विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं। एमटीएच अस्पताल के डॉक्टरों ने यह साबित कर दिया कि अगर सही टीम, सही योजना और लगन से काम किया जाए, तो असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️