रेलवे पार्किंग ठेकेदार की अवैध वसूली के खिलाफ ऑटो रिक्शा चालकों का धरना प्रदर्शन, आरपीएफ थाना प्रभारी ने सुनी समस्याएं

इंदौर, 2 अप्रैल 2025 – इंदौर रेलवे स्टेशन पर पार्किंग ठेकेदार द्वारा ऑटो रिक्शा चालकों से अवैध वसूली और गुंडागर्दी के खिलाफ इंदौर ऑटो रिक्शा चालक महासंघ के नेतृत्व में धरना प्रदर्शन किया गया। 

विधिक आवाज समाचार समूह|इंदौर
विशेष खबर |02 अप्रैल 2025
✍️✍️✍️✍️विश्वामित्र अग्निहोत्री 

महासंघ के कार्यकर्ता सुबह 11:45 बजे रेलवे स्टेशन स्थित आरपीएफ थाना प्रभारी जीवन सिंह तंवर और एआरओ हरी राम मीना के कार्यालय पहुंचे और कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए।

धरना प्रदर्शन की शालीनता को देखते हुए आरपीएफ थाना प्रभारी ने स्वयं जमीन पर बैठकर प्रदर्शनकारियों की समस्याएं सुनीं और जल्द समाधान का आश्वासन दिया।


धरना प्रदर्शन की मुख्य मांगें

प्रदर्शनकारियों ने रेलवे प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर 48 घंटे के भीतर कार्रवाई की मांग की। महासंघ द्वारा निम्नलिखित 7 सूत्रीय मांगें रखी गईं—

रेलवे ठेकेदार अपने खर्चे पर चार बड़े बोर्ड लगवाए, जिनमें स्पष्ट रूप से रेलवे के नियम लिखे जाएं, ताकि सीएनजी ऑटो रिक्शा चालक उन्हें समझ सकें।

स्टैंड पर कार्यरत सभी कर्मचारियों का पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य किया जाए।

सभी कर्मचारी रेलवे द्वारा निर्धारित वर्दी में कार्य करें।

पिक एंड ड्रॉप सुविधा के लिए ऑटो रिक्शा चालकों से अवैध शुल्क न लिया जाए।

पार्किंग ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट किया जाए और भविष्य में उनके परिवार के किसी भी सदस्य को रेलवे का ठेका न दिया जाए।

सीसीटीवी कैमरों से निगरानी बढ़ाई जाए ताकि अवैध गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके।

रेलवे पुलिस अवैध वसूली रोकने में ऑटो रिक्शा चालकों की मदद करे।


रेलवे प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग

इंदौर ऑटो रिक्शा चालक महासंघ के संस्थापक एवं अध्यक्ष राजेश बिड़कर ने कहा कि रेलवे ठेकेदार की मनमानी और अवैध वसूली के खिलाफ जल्द से जल्द सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर 48 घंटे के भीतर उचित कदम नहीं उठाए गए, तो महासंघ अपने आंदोलन को और तेज करेगा।

धरना प्रदर्शन में शामिल प्रमुख लोग

धरने में राजेश बिड़कर, निलेश सूर्यवंशी, रोहित बुडानिया, तपेश मोदी, फिरोज अली, हरीश पवार, पंकज मालवीय, जितेंद्र नागर, भारत कपोले, अनूप पवार, सुनील सोलंकी और देवेंद्र बैरागी सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल हुए।

रेलवे प्रशासन के खिलाफ हो रहे इस आंदोलन पर अब सबकी नजरें टिकी हैं। देखना होगा कि रेलवे प्रबंधन ठेकेदार के खिलाफ क्या कार्रवाई करता है और ऑटो रिक्शा चालकों की मांगों को कितना स्वीकार करता है।


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