प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की श्रीलंका यात्रा के दौरान भारत और द्वीप राष्ट्र के बीच रक्षा सहयोग पर समझौता ज्ञापन (Mou) साइन किया गया. इस पर शनिवार को हस्ताक्षर किए गए थे. यह समझौचा पांच साल तक लागू रहेगा.
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रिपोर्ट राजेश कुमार यादव |दिनांक 6 अप्रैल 2025
इस बात की जानकारी पड़ेसी देश के टॉप डिफेंस अधिकारी संपत थुइयाकोंथा ने दी. श्रीलंका के रक्षा सचिव थुइयाकोंथा ने एक प्रेस वार्ता में कहा, "भारत सालाना लगभग 750 श्रीलंकाई सैन्य कर्मियों को 'ट्रेनिंग देता है. यह रक्षा साझेदारी एक अमूल्य संपत्ति बनी हुई है." उन्होंने कहा कि रक्षा सहयोग पर समझौता ज्ञापन पांच साल तक लागू रहेगा.
रक्षा सचिव ने कहा कि एमओयू को औपचारिक रूप देने का निर्णय दोनों देशों के बीच 2023 रक्षा वार्ता के दौरान लिया गया था, जिसमें श्रीलंकाई कैबिनेट ने इस साल जनवरी में समझौते को मंजूरी दी थी.
संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों का सम्मान
थुइयाकोंथा ने कहा, "इस समझौता ज्ञापन के तहत दोनों पक्ष एक-दूसरे के सैन्य और राष्ट्रीय कानूनों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों और उद्देश्यों का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. इसमें संप्रभु समानता और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना शामिल है."
समझौता ज्ञापन को समाप्त करने का अधिकार
उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी पक्ष को तीन महीने पहले सूचना देकर समझौता ज्ञापन को समाप्त करने का अधिकार है. रक्षा सहयोग समझौता ज्ञापन, श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के साथ प्रधानमंत्री मोदी की द्विपक्षीय वार्ता के दौरान हस्ताक्षरित सात समझौतों में से एक था. इस पर श्रीलंका की ओर से रक्षा मंत्रालय के सचिव थुइया कोंथा और भारत की ओर से भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने हस्ताक्षर किए.
यह पहली बार है कि भारत और श्रीलंका ने सैन्य क्षेत्र में गहन सहभागिता के लिए एक ढांचे को संस्थागत बनाने के लिए एक प्रमुख रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.
