मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इंदौर नगर निगम की संपत्ति को कुर्क कर हर्जाना वसूलने के इंदौर जिला कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. जिला अदालत के फैसले के खिलाफ इंदौर नगर निगम की तरफ से अधिवक्ता कमल एरन ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी.
विधिक आवाज समाचार |इंदौर मध्यप्रदेश
विश्वामित्र अग्निहोत्री |दिनांक 6, अप्रैल 2025
नगर निगम ने हाईकोर्ट को बताया, म्युनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट में नगद मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं ।
नगर निगम की तरफ से हाई कोर्ट को बताया गया कि म्युनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट में नगद मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं है. रोड के बदले अधिकरण किए जाने पर टीडीआर सर्टिफिकेट दिया जाता है. उल्लेखनीय है वर्ष 2017 में रिमूवल कार्रवाई के दौरान 19 गणेशगंज के मकान मालिक रविशंकर मिश्रा का कुछ हिस्सा लिया गया था.
जिला अदालत ने इंदौर नगर निगम को 25 लाख रुपये का हर्जाना देने का निर्देश दिया था , उन्होंने डबल एफ ए आर को रिजेक्ट कर नगर पालिका निगम अधिनियम 1956 धारा 387 के तहत नगद मुआवजे के लिए जिला न्यायालय में आवेदन दिया था. जिस पर सुनवाई करते हुए जिला अदालत ने इंदौर नगर निगम को मामले में 25 लाख रुपये का हर्जाना देने के निर्देश दिया था. लेकिन इंदौर नगर निगम की तरफ से हर्जाना नहीं देने पर जिला कोर्ट ने नगर निगम की संपत्ति को कुर्क कर मुआवजा दिए जाने के निर्देश दिए थे.
कोर्ट के आदेश पर संबंधित विभाग कुर्की की कार्रवाई करने के लिए पहुंचा तो इंदौर नगर निगम के अधिकारियों ने हस्तक्षेप करते हुए मामले में अपील दायर करने की बात कही थी और उसी के बाद इस पूरे मामले में इंदौर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई और इंदौर हाई कोर्ट ने इस पूरे मामले में सुनवाई कर प्रारंभिक तौर पर कार्रवाई पर रोक लगा दी है.
