तेलंगाना/Telangana SLBC Tunnel: श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) टनल में फंसे 8 मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए बचाव कार्य तेज कर दिया गया है। लेकिन यह ऑपरेशन आसान नहीं है, क्योंकि फिलहाल टनल पानी से पूरी तरह भरी हुई है, जिससे बचावकर्मियों के लिए रास्ता बनाना कठिन हो गया है।
विधिक आवाज न्यूज | रिपोर्ट राजेश कुमार यादव
टनल में पानी भर जाने के कारण अंदर फंसे मजदूरों तक पहुंचने में कई चुनौतियां आ रही हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, पानी का स्तर ऊंचा होने से न केवल खुदाई मुश्किल हो रही है, बल्कि बचाव अभियान भी धीमा पड़ गया है। जब तक पानी पूरी तरह नहीं निकाला जाता, तब तक टनल के अंदर प्रवेश करना असंभव बना हुआ है।
*टनल में क्यों भर गया पानी?*
यह टनल कृष्णा नदी का पानी नलगोंडा जिले तक पहुंचाने के लिए बनाई जा रही है। इस परियोजना पर पिछले पांच वर्षों से काम चल रहा है। अधिकारियों के अनुसार, टनल के ऊपर की पहाड़ियों से पानी का रिसाव हो रहा था, जिसे टनल की छत काफी हद तक रोक रही थी। लेकिन जब टनल की छत का एक हिस्सा गिर गया, तो पानी अंदर भर गया, जिससे मजदूर वहां फंस गए।
टनल के अंदर इस रिसाव को पूरी तरह से रोकने के लिए विशेष पंप और अन्य उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन चूंकि यह इलाका पहाड़ी और चट्टानी है, इसलिए पानी को पूरी तरह से निकालने में समय लग सकता है।
*टनल से पानी निकालना बचाव कार्य की पहली चुनौती*
बचाव कार्य की शुरुआत टनल से पानी निकालने से होगी। इसके लिए 100 हॉर्सपावर और 70 हॉर्सपावर की दो मोटर पंप लाई गई हैं, जो तेज़ी से पानी निकालने का काम कर रही हैं। जैसे ही पानी का स्तर नीचे जाएगा, बचाव दल के सदस्य टनल में प्रवेश करेंगे।
टनल के अंदर करीब 9 किलोमीटर तक खुदाई के लिए कन्वेयर बेल्ट का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी कन्वेयर बेल्ट के सहारे बचाव दल के सदस्य अंदर जाएंगे और मजदूरों तक पहुंचने की कोशिश करेंगे। बाकी इलाके की निगरानी ड्रोन के जरिए की जाएगी, ताकि किसी भी खतरे को पहले से भांपा जा सके और बचावकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
*टनल के ऊपर से खुदाई कर पहुंचना मुश्किल*
टनल के ऊपर चट्टानों की मोटी परत है, जिससे वहां से ड्रिलिंग कर मजदूरों तक पहुंचना लगभग नामुमकिन हो गया है। विशेषज्ञों ने बताया कि अगर ऊपर से खुदाई की जाती है, तो इससे टनल की स्थिरता और ज्यादा कमजोर हो सकती है, जिससे और अधिक नुकसान होने का खतरा रहेगा। इस कारण इस विकल्प को छोड़ दिया गया है और सिर्फ टनल के अंदर से ही बचाव कार्य किया जा रहा है।
*टनल के अंदर दो बार गिर चुकी है छत*
टनल के अंदर छत दो बार गिरी, जिससे स्थिति और भी जटिल हो गई है। हादसे के समय टनल में कुल 50 मजदूर काम कर रहे थे। जब पहला हादसा हुआ, तब 42 मजदूर वहां से भागने में सफल रहे। लेकिन जब वे बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे, तब लगभग 150 मीटर की दूरी पर टनल की छत दोबारा गिर गई, जिससे 8 मजदूर अंदर फंस गए। अब इंजीनियरिंग टीम पूरे टनल की स्थिरता की जांच कर रही है, ताकि बचाव कार्य के दौरान कोई और बड़ा हादसा न हो।
*फंसे मजदूरों की पहचान*
*टनल में फंसे 8 मजदूरों की पहचान कर ली गई है:*
उत्तर प्रदेश: मनोज कुमार, श्री निवास
झारखंड: संदीप साहू, जगता एक्सेस, संतोष साहू, अनुज साहू
जम्मू-कश्मीर: सनी सिंह
पंजाब: गुरप्रीत सिंह
ये सभी मजदूर टनल बोरिंग मशीन और गिरी हुई चट्टानों के बीच 15 मीटर के छोटे से क्षेत्र में फंसे हुए हैं। अधिकारियों का मानना है कि इस जगह पर वे सुरक्षित हो सकते हैं, लेकिन उन्हें जल्द से जल्द बाहर निकालना जरूरी है।
*ऑक्सीजन सप्लाई चालू, मेडिकल टीमें अलर्ट पर*
अधिकारियों ने पुष्टि की है कि टनल के अंदर वेंटिलेशन सिस्टम अभी भी काम कर रहा है, जिससे ऑक्सीजन की आपूर्ति जारी है। यह मजदूरों के लिए राहत की बात है, क्योंकि इस स्थिति में वे सांस लेने में कोई परेशानी महसूस नहीं कर रहे हैं।
बचाव स्थल पर मेडिकल टीम और एंबुलेंस को पूरी तरह से तैयार रखा गया है। डॉक्टरों की एक विशेष टीम भी मौके पर मौजूद है, ताकि जैसे ही मजदूर बाहर आएं, उन्हें तुरंत प्राथमिक चिकित्सा दी जा सके।
*परिवार वालों की बढ़ रही चिंता*
टनल में फंसे मजदूरों के परिवार के लोग भी मौके पर पहुंच रहे हैं और सरकार से जल्द से जल्द उन्हें बाहर निकालने की अपील कर रहे हैं। मजदूरों के रिश्तेदारों ने अधिकारियों से बात कर जल्द राहत पहुंचाने की मांग की है।
बचाव दल लगातार इस ऑपरेशन में जुटा हुआ है और सभी को उम्मीद है कि जल्द ही मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा। प्रशासन और इंजीनियरिंग टीम दिन-रात मेहनत कर रही है, ताकि यह बचाव कार्य जल्द से जल्द पूरा हो सके।