मेरी बेटी इतनी सुंदर नहीं हो सकती' पिता को था शक, DNA टेस्ट ने खोला ऐसा राज़, मां-बाप दोनों शॉक्ड!
यह वाकई एक हैरान करने वाली घटना है। वियतनाम के इस शख्स ने जब अपनी बेटी की बढ़ती सुंदरता पर ध्यान दिया, तो उसे यह शक हुआ कि वह उसकी असली बेटी नहीं हो सकती। यह शक इतनी गहरी सोच में बदल गया कि उसने डीएनए टेस्ट कराने का निर्णय लिया। जब परिणाम आया, तो यह दोनों माता-पिता के लिए एक बड़ा झटका था। टेस्ट में पाया गया कि लड़की का डीएनए उस शख्स से मेल नहीं खाता था, यानी वह उसकी जैविक बेटी नहीं थी।
इस घटना ने यह सवाल उठाया कि डीएनए टेस्ट का उपयोग अब तक किस तरह से समाज में बदलते नजरिए का हिस्सा बन गया है। पहले ऐसे मामलों में शायद ही कभी डीएनए टेस्ट की बात की जाती, लेकिन अब यह एक सामान्य प्रक्रिया बन चुकी है। इसके फायदे तो कई हैं, जैसे पारिवारिक संबंधों का स्पष्ट होना, लेकिन इसके कुछ नकरात्मक पहलू भी हैं, जैसे रिश्तों में अविश्वास और परिवार के अंदर टकराव। यह घटना एक उदाहरण बन गई है कि कैसे ऐसी तकनीकी चीज़ें, जो कभी केवल विज्ञान के क्षेत्र में सीमित थीं, अब लोगों की जिंदगी के हिस्से बन चुकी हैं।
इतनी सुंदर थी बेटी, पिता को हुआ शक की यह बेटी मेंरी नही है ।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक एक शख्स को अपनी टीनएजर बेटी की सुंदरता देखकर संदेह हुआ कि वो उसकी बेटी है ही नहीं. बच्ची बचपन से ही बहुत सुंदर थी लेकिन जब वो बड़ी होने लगी तो पिता का शक गहरा गया कि उसका पिता कोई और है। आखिरकार एक दिन उसने अपनी पत्नी से इस बारे में बात की और डीएनए टेस्ट कराने की बात कही. भड़की पत्नी ने साफ इनकार कर दिया और बेटी को लेकर दूसरे शहर में चली आई. इसके बाद बेटी का स्कूल लगातार बदलता रहा और मां-बाप ये पता लगाने में जुट गए कि उसी बर्थडेट पर और कौन सी बच्चियां जन्मीं ।
यह कहानी एक दिलचस्प और भावनात्मक मोड़ पर आधारित है। दो परिवारों का मिलना, जो एक भूल से जुड़े थे, वास्तव में एक रहस्य खुलने का कारण बना। जब लड़की की दोस्ती नई स्कूल में अपनी बर्थडे पार्टियों को लेकर बढ़ी, तब वह छोटी सी समानता—मां और बेटी के चेहरे के बीच—दूसरी लड़की की असली पहचान का सुराग बन गई। डीएनए टेस्ट ने इसे साबित कर दिया और यह सामने आया कि बच्ची वहीं है, जो एक समय में हॉस्पिटल में गलती से बदल दी गई थी।
यह कहानी यह भी दिखाती है कि परिवारों ने आपसी मेलजोल बढ़ाने का निर्णय लिया और इसे भावनात्मक रूप से हल करने की कोशिश की, ताकि बेटियां बाद में खुद तय कर सकें कि वे किसके साथ रहना चाहती हैं। लेकिन यह सवाल खुला रहता है कि क्या परिवारों ने हॉस्पिटल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की या नहीं, जो इस त्रुटि का कारण था।