एक हटकर नजर — ऐसा कौन-सा "एटम बम" जो अभी खुलकर सामने नहीं आया?
राहुल गांधी की ओर से हाल ही में "वोट चोरी" के आरोपों को लेकर चुनाव आयोग (ECI) से कई सवाल उठाए गए। पर एक पहलू जिसे ज़्यादा नहीं देखा गया, वह है डिजिटल वोटर लिस्ट के तकनीकी पहलुओं का सवाल, जिसे राहुल ने उत्साहपूर्वक उठाया हैं? 1. राहुल गांधी के आरोप: "वोट चोरी" का दावा
राहुल गांधी ने कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 1,00,250 फर्जी वोट होने का दावा किया। उन्होंने कहा कि भाजपा को इसी वजह से 2024 लोकसभा चुनाव में फायदा हुआ। इस आरोप को उन्होंने "एटम बम" प्रमाण बताते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में पेश किया।
2. ECI का पलटवार: हलफनामा या माफी मांगो
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी से पूछा है कि अगर उन्हें अपने आरोपों पर विश्वास है, तो वे शपथपत्र (हलफनामा) पर हस्ताक्षर करें, नहीं तो देश से माफी मांगें। आयोग ने उनके आरोपों को “बेबुनियाद” और “घिसी-पिटी स्क्रिप्ट” करार दिया।
3. ECI ने तथ्यात्मक उत्तर दिए
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डिजिटल वोटर लिस्ट: सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही ऐसी मांग को खारिज कर दिया था (Kamal Nath बनाम ECI, 2019)।
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CCTV फुटेज: केवल तब सुरक्षित रखी जाती है जब चुनाव याचिका (Election Petition) दायर की जाती है; अन्यथा देखने में लगभग 273 साल लगेंगे, और इसका कोई व्यावहारिक या कानूनी लाभ नहीं है।
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शिकायत: राहुल गांधी द्वारा कभी कोई लिखित शिकायत आयोग को नहीं दी गई। देय उत्तर पहले ही आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
4. ECI ने कहा— चुनाव डेटा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है
चुनाव आयोग ने सभी राज्यों के मतदाता सूची (electoral rolls) को सार्वजनिक, डाउनलोड करने योग्य बताया। राहुल गांधी द्वारा आयोग की वेबसाइट बंद होने के दावे को आयोग ने खारिज कर बताया कि सभी डेटा अभी भी उपलब्ध हैं।
5. यूपी CEO ने कुछ आरोपों को खारिज किया
राहुल गांधी ने कुछ नाम (जैसे आदित्य श्रीवास्तव और विशाल सिंह) को कई राज्यों की वोटर लिस्ट में होने का दावा किया, लेकिन यूपी CEO ने जांच कर उन्हें महादेवपुरा (बैंगलोर) तक सीमित पाया— अन्य स्थानों में इनका नाम नहीं था।
6. राहुल गांधी की प्रतिक्रिया
राहुल गांधी ने जोर देकर कहा कि उन्होंने संसद में संविधान की शपथ ली है। उन्होंने चुनाव आयोग से डिजिटल वोटर लिस्ट और CCTV फुटेज मांगते हुए कहा— यदि यह डेटा मिल जाता है, तो वह वोट चोरी सिद्ध कर देंगे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ECI ने विपक्ष को डेटा से दूर रखा।
7. प्रियंका गांधी की बोलती प्रतिक्रिया
प्रियंका गांधी ने चुनाव आयोग पर सवाल उठाया कि बिना जांच किए कैसे आरोप को गलत ठहरा सकते हैं। उन्होंने कहा कि उनसे शपथपत्र मांगना उचित नहीं— पहले जांच हो, फिर कार्रवाई। वह इसे लोकतंत्र का मजाक बताया। यानी एक और एंगल यह है कि राहुल ने यह नहीं पूछा कि ECI ने क्या किया — बल्कि यह पूछा कि वोटर डेटा पर नागरिकों का अधिकार और उसकी तकनीकी संरचना किस हद तक पारदर्शी है। यह सवाल सीधे-सीधे लोकतंत्र की डिजिटल रीढ़ को चुनौती देता है — और शायद यही वह “नया” पहलू है जो आम रिपोर्टिंग से थोड़ा पीछे रह गया है।