उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां महराजगंज कोतवाली में तैनात दरोगा उत्कर्ष केशरवानी और सिपाही शुभम यादव पर आरोप है कि उन्होंने एक विवेचना में नाम हटाने के एवज में वादी से 20,000 रुपये की रिश्वत की मांग की थी।
किसान की शिकायत पर एसपी डॉ. यशवीर सिंह ने मामले की जांच अपर पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार सिन्हा को सौंपी। जांच में आरोप सही पाए जाने पर दोनों को निलंबित कर दिया गया है।
विधिक आवाज समाचार |रायबरेली उत्तर प्रदेश
रिपोर्ट राजेश कुमार यादव
दिनांक 7जून2025
इस कार्रवाई से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है। एसपी ने बताया कि दोषी पाए गए दोनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
यह घटना सरकारी कर्मचारियों की भ्रष्टाचार में संलिप्तता को उजागर करती है और यह संदेश देती है कि ऐसे मामलों में कार्रवाई की जाएगी। स्थानीय नागरिकों ने इस कदम का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि भविष्य में ऐसे मामलों में और भी सख्ती बरती जाएगी।