इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा की नियुक्ति पर विवाद: बार एसोसिएशन ने महाभियोग की मांग की


इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा की नियुक्ति को लेकर विवाद गहरा गया है। दिल्ली हाईकोर्ट में तैनात जस्टिस वर्मा के आवास से भारी मात्रा में नगद राशि मिलने के बाद उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरित किया गया है। हालांकि, बार एसोसिएशन ने इस कदम का विरोध करते हुए महाभियोग की मांग की है।

विधिक आवाज समाचार| प्रयागराज उत्तर प्रदेश 
रिपोर्ट राजेश कुमार यादव 
दिनांक 07जून 2025

14 मार्च 2025 को दिल्ली स्थित जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने के बाद वहां से बड़ी मात्रा में नगद राशि बरामद हुई। इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की। हालांकि जस्टिस वर्मा ने आरोपों को निराधार बताते हुए इसे साजिश करार दिया है।

सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च 2025 को जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने की सिफारिश की। हालांकि, 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से कहा कि जस्टिस वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपा जाए, जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती। इससे पहले, 22 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने एक आंतरिक जांच समिति गठित की थी।

 इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की प्रतिक्रिया

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस वर्मा के स्थानांतरण का विरोध करते हुए कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट कोई "कूड़ेदान" नहीं है, जहां भ्रष्टाचार में लिप्त न्यायाधीशों को भेजा जाए। एसोसिएशन ने मांग की है कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की जाए और उनकी सभी पूर्व में दी गई निर्णयों की समीक्षा की जाए।

 महाभियोग प्रस्ताव की तैयारी

केंद्र सरकार ने संसद के आगामी मॉनसून सत्र में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की योजना बनाई है। यह कदम सुप्रीम कोर्ट की जांच रिपोर्ट के आधार पर उठाया जा सकता है। हालांकि, विपक्षी दलों ने इस प्रस्ताव के लिए सुप्रीम कोर्ट की जांच रिपोर्ट की पूरी जानकारी की मांग की है।

यह मामला न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करता है। सुप्रीम कोर्ट की जांच समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही इस मामले में आगे की कार्रवाई तय होगी।
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