जहां पुलिस ने उठाया था सवाल, वहां वकील अंकित जायसवाल ने रखा कानून का जवाब!
इंदौर | विशेष रिपोर्ट: विश्वामित्र अग्निहोत्री
कभी-कभी अदालतें सिर्फ फैसला नहीं सुनातीं, कानूनी समझ और युक्तियों का युद्ध भी देखती हैं। इंदौर के चर्चित फर्ज़ी अपहरण कांड में जब पुलिस ने चार युवकों को हिरासत में लिया, तब लगा कि अब इनका जेल से बाहर आना नामुमकिन होगा।
लेकिन…
कानूनी रणभूमि में बाज़ी मारी युवा अधिवक्ता अंकित जायसवाल ने।
कांड की कहानी संक्षेप में:
20 वर्षीय यश राठौर ने कर्ज़ में डूबने के बाद तीन दोस्तों के साथ मिलकर अपने ही अपहरण की झूठी कहानी गढ़ी।
तीन लाख की फिरौती की मांग अपने ही पिता से करवाई गई।
पुलिस ने 16 घंटे में मामला सुलझा लिया और चारों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
मुकदमा तो बना... लेकिन मोर्चा संभाला वकील अंकित जायसवाल ने
जहां पुलिस इसे संगीन मामला बता रही थी, वहीं वकील अंकित जायसवाल ने पूरी तैयारी, सटीक तथ्यों और मजबूत दलीलों के साथ अदालत में ये साबित कर दिया कि...
"यह अपराध गंभीर होने के बावजूद, गैर इरादतन था। आरोपी नाबालिग नहीं, पर युवा हैं और समाज में पुनः लौटने की संभावना है।"
उनकी कानूनी तैयारी और प्रस्तुति इतनी दमदार थी कि अदालत ने:
✅ यश राठौर,
✅ आदर्श चक्रवर्ती,
✅ राहुल मेहरा (जिस पर पहले से 13 केस दर्ज हैं)
सभी को जमानत प्रदान कर दी।
कानून की किताब से निकाले सही पन्ने
एडवोकेट अंकित जायसवाल ने अदालत के सामने IPC की प्रासंगिक धाराओं, न्यायालयीन उदाहरणों और आरोपी की सामाजिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए मानवाधिकार और पुनर्वास के सिद्धांत को रखा। नतीजतन, कोर्ट ने माना कि फिलहाल न्यायिक हिरासत की आवश्यकता नहीं है।
अब शहर में चर्चा:
"पुलिस की मेहनत बेकार?"
"या फिर एक होशियार वकील ने बता दिया कि कानून भावनाओं पर नहीं, तथ्यों पर चलता है?"
वकील अंकित जायसवाल की छवि और मजबूत हुई
इस केस में अंकित जायसवाल ने यह दिखा दिया कि...
🔹 वे सिर्फ दलील नहीं देते,
🔹 हर केस को रणनीति से लड़ते हैं,
🔹 और अपने मुवक्किल के कानूनी अधिकारों के लिए अंत तक खड़े रहते हैं।
विधिक आवाज़ विशेष टिप्पणी:
न्याय केवल सजा नहीं, सुधार और अधिकारों की रक्षा भी है।
और यही बात इस केस में वकील अंकित जायसवाल ने बखूबी अदालत के सामने रखी।
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