पद्म अवार्ड : इंजीनियरिंग से निकले दो चेहरे, एक पद्मश्री, दूसरा 'IIT बाबा', बना मजाक का विषय


विद्या विनय देती है, दिखावा तिरस्कार…

यह सिर्फ कहावत नहीं सच्‍चाई है. यकीन न हो तो इन दो चेहरों को देख लीजिए. इंजीनियरिंग की डिग्री लेने वाले एक विदेशी ने भारतीय ज्ञान को अपनाकर वैश्विक पहचान हास‍िल कर ली, तो वहीं दूसरा मजाक का पात्र बन गया. हम बात कर रहे हैं ब्राजील से आए जोनास मासेटी की, जिन्होंने भारतीय वैदिक संस्कृति को अपनाया, और आज ‘वेदांताचार्य’ के रूप में वैश्विक पहचान के साथ पद्मश्री से नवाजे गए. दूसरी ओर भारत के एक प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थान से निकले अभय सिंह, जो ‘IIT बाबा’ बनकर सोशल मीडिया पर व्यंग्य का कारण बन गए. दोनों का मार्ग एक जैसे बिंदु से शुरू हुआ, इंजीनियरिंग, लेकिन एक की यात्रा वैदिक गुरु बनने तक पहुंची और दूसरे की वायरल वीडियो में उपहास तक.

विधिक आवाज समाचार |लखनऊ उत्तरप्रदेश
रिपोर्ट राजेश कुमार यादव
दिनांक 31मई 2025

*इंजीनियरिंग से निकले दो चेहरे, एक बना 'वेदांताचार्य', दूसरा मजाक का विषय*

ब्राजील के रियो डी जनेरियो में जन्मे जोनास मासेटी ने मिलिट्री इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. पांच वर्षों तक ब्राजीलियाई सेना में सेवाएं देने के बाद वे स्टॉक मार्केट में स्ट्रैटेजिक कंसल्टेंट के रूप में कार्यरत रहे. लेकिन जीवन की भौतिक सफलता के बावजूद उन्हें एक आध्यात्मिक खालीपन महसूस हुआ. इस आंतरिक खोज ने उन्हें योग और वेदांत की ओर खींचा. 2003 में उन्होंने इस राह की शुरुआत की और धीरे-धीरे ग्लोरिया एरिएरा और फिर स्वामी दयानंद सरस्वती के शिष्य बन गए. भारत के कोयंबटूर स्थित अर्ष विद्या गुरुकुलम में उन्होंने चार साल तक ट्रेनिंग ली.

*150,000 बच्‍चों तक पहुंचे*

2014 में वे ब्राजील लौटे और पेट्रोपोलिस में विश्व विद्या गुरुकुलम की स्थापना की. यहां वेदांत, भगवद् गीता, संस्कृत और वैदिक परंपराएं पढ़ाई जाती हैं. उनका यह मिशन आज 150,000 से अधिक विद्यार्थियों तक पहुंच चुका है. भारत सरकार ने 2025 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने मन की बात में उनकी तारीफ करते हुए कहा था कि जोनास जैसे लोग भारत की सांस्कृतिक शक्ति के जीवंत उदाहरण हैं.
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