जब देश का विश्वास बेचने वाले चेहरे, मुस्कुराते हुए कैमरे के सामने नजर आते हैं, तब सवाल सिर्फ देशभक्ति का नहीं, बल्कि हमारे तंत्र की सतर्कता का भी होता है। हरियाणा की यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी कोई साधारण घटना नहीं, बल्कि उस गंभीर खतरे की ओर इशारा है, जो अब सोशल मीडिया की आड़ में देश के भीतर से ही पनप रहा है।
लेखक: विश्वामित्र अग्निहोत्री की कलम से ✍️
विधिक आवाज़ संपादकीय टीम...
18 मई 2025
'ट्रैवल विद जो' नामक चैनल चलाने वाली इस महिला यूट्यूबर का पाकिस्तान से संबंध स्थापित करना और फिर खुफिया एजेंसी ISI को संवेदनशील जानकारियां पहुंचाना, न केवल देश की सुरक्षा के साथ विश्वासघात है, बल्कि यह हर उस नागरिक के मुँह पर तमाचा है जो सोशल मीडिया को स्वतंत्र विचार और अभिव्यक्ति का मंच मानता है।
📌 यात्रा नहीं, रणनीति थी!
2023 में ज्योति मल्होत्रा का पाकिस्तान जाना शायद एक ट्रैवल व्लॉगर के रूप में प्रचारित किया गया, लेकिन बाद में सामने आए तथ्यों और वीडियोज़ ने इस भ्रम को तोड़ दिया। पाक उच्चायोग में आयोजित इफ्तार पार्टी में भाग लेना, खुफिया अधिकारी दानिश से नज़दीकी रिश्ते, और फिर विभिन्न डिजिटल माध्यमों से जानकारी का लीक होना – यह सब एक गहरी साज़िश की ओर इशारा करता है।
यह साज़िश कैमरे के पीछे से नहीं, बल्कि कैमरे के सामने खुलेआम चल रही थी – और हम सबने उसे ‘ट्रैवल व्लॉग’ समझकर नजरअंदाज़ किया।
⚠️ सोशल मीडिया की आड़ में गहराता खतरा
हम एक ऐसे दौर में जी रहे हैं, जहाँ ‘फॉलोअर्स’ और ‘व्यूज़’ की संख्या से किसी की विश्वसनीयता आँकी जाती है। लेकिन क्या ये आँकड़े उस देशभक्ति की गारंटी दे सकते हैं, जो संविधान की रक्षा में सबसे ऊपर होनी चाहिए? दुर्भाग्यवश, अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म देशविरोधी तत्वों के लिए एक नया मैदान बनते जा रहे हैं — जहां विचारधारा की आड़ में देश की संप्रभुता को गिरवी रखा जा सकता है।
ज्योति का मामला यह भी दिखाता है कि दुश्मन देश हमारे युवाओं को लोभ, भ्रम और मान्यता के लालच में फँसाकर अपने जाल में फंसा रहा है।
🛑 जरूरत है कठोर और सक्रिय निगरानी की
इस मामले के खुलासे के बाद सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को न केवल इस प्रकरण में कठोर दंड सुनिश्चित करना चाहिए, बल्कि सोशल मीडिया पर सक्रिय प्रभावशाली लोगों की गहन पृष्ठभूमि जांच का तंत्र भी विकसित करना चाहिए।
'ऑपरेशन सिंदूर' जैसे अभियानों की आवश्यकता अब स्थायी निगरानी तंत्र के रूप में बदलनी चाहिए। साथ ही, जनता को भी जागरूक रहना होगा कि हर चमकता चेहरा देश का हितैषी नहीं होता।
✍️ अंतिम पंक्तियाँ
इस घटना ने एक बार फिर साबित किया है कि युद्ध सिर्फ सीमाओं पर नहीं, विचारों और सूचनाओं की दुनिया में भी लड़ा जा रहा है। और इस युद्ध में देशभक्ति अब महज़ भावना नहीं, जिम्मेदारी बन चुकी है।
जिन्हें हमने सोशल मीडिया का हीरो माना, वे जब देशद्रोह के कटघरे में खड़े होते हैं, तब ज़रूरत है – पुनः मूल्यांकन की, पुनः परिभाषा की — कि आज का नायक कौन है?
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