तवायफ के पांव में मोच क्या आई... शहर के मुरीदों का भेद खुल* *गया..!!


कहीं पाकिस्तान के परमाणु ठिकाने पर आज भी अमेरिका का कंट्रोल तो नहीं? जिसे अतीत में वह भारत और चीन पर दबाव बनाने के लिए रखा हो..


विधिक आवाज समाचार | दिनांक 15 मई2025
राजेश कुमार यादव की कलम से

क्योंकि जिस भिखारी के पास ढंग का फाइटर जेट खरीदने की औकात नहीं परमाणु हथियार क्या खाक संभालेगा?

बाते हवा हवाई नही है बल्कि इसके ठोस कारण है..

हो न हो वह भंडार अमेरिका का ही हो..
यह तो तय है भिखारी पाकिस्तान को 1998 से पहले जितने भी हथियार मिले अमेरिका या अमरीकी पैसे से ही मिले...

अमेरिका सालों तक पाकिस्तान को आर्मीबेस बनाए हुए था शीतयुद्ध से लेकर तालिबान से लड़ने तक...

भारत के मिसाइलों के सटीक हमले ने पाकिस्तान के कई एयर बेस और सैन्य ठिकानों को डैमेज किया है।
कहीं उनमें से कोई अमेरिकी ठिकाना भी तो निशाना नहीं बन गया?

अमेरिका ने सुबह कहा भारत पाकिस्तान की लड़ाई है हमारा कोई लेना देना नहीं...

वहीं शाम होते होते ट्रंप युद्ध विराम की घोषणा करते हैं। और आनन फानन में दोनों देश युद्धविराम के लिए राजी भी हो जाते हैं..

कहा जा रहा भारत ने परमाणु ठिकाने पर भी मिसाइल दागा है, जिससे रेडिएशन के रिसाव का खतरा बन गया है..

ट्रंप का भी कहना था कि "इस युद्ध में 25- 30 लाख लोग मारे जाते।" यानि परमाणु ठिकाने में धमाका होने का खतरा मंडराने लगा था।चलिए यदि ऐसा है तो युद्ध विराम जरूरी था क्योंकि पाकिस्तान के परमाणु जखीरे में धमाका होता तो कई देश भी इसके जद में आ जाते..

युद्ध शुरू होने से लेकर युद्धविराम तक प्रधानमंत्री मोदी का कोई बयान न देना भी मामले की गंभीरता की ओर इशारा करता है...

प्रधानमंत्री ने अधीनस्थ अधिकारियों को ही आगे रखा है। इससे संदेश गया कि पाकिस्तान भारत के लिए महत्व नहीं रखता, बल्कि विश्व बिरादरी का मान रखा जा रहा है...

भारत ने अमेरिका की पूंछ पर भी पांव रख दिया है। बस कल की वार्ता में पीओके गिलगित बाल्टिस्तान के लिए कोई ठोस पहल हो जाए...




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