इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वकील अशोक पांडे को अदालत की अवमानना का दोषी पाते हुए छह महीने की साधारण कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही, उन पर ₹2,000 का जुर्माना भी लगाया गया है, जिसे एक महीने के भीतर न चुकाने पर एक और महीने की जेल की सजा भुगतनी होगी।
विधिक आवाज समाचार |प्रयागराज उत्तर प्रदेश
रिपोर्ट राजेश कुमार यादव दिनांक| 12 अप्रैल 2025
घटना का विवरण
18 अगस्त 2021 को, वकील अशोक पांडे अनुचित पोशाक में, शर्ट के बटन खुले हुए, अदालत में पेश हुए। जब न्यायाधीशों ने उन्हें उचित पोशाक पहनने की सलाह दी, तो उन्होंने इसका विरोध किया और "सभ्य पोशाक" की परिभाषा पर सवाल उठाया। इसके बाद, उन्होंने न्यायाधीशों के प्रति अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया और उन्हें "गुंडा" कहा। इस व्यवहार को अदालत ने न्यायालय की गरिमा के खिलाफ माना।
न्यायालय की प्रतिक्रिया
न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने पाया कि अशोक पांडे ने जानबूझकर न्यायालय की अवमानना की है। उनके आचरण को देखते हुए, उन्हें छह महीने की साधारण कारावास और ₹2,000 के जुर्माने की सजा सुनाई गई। इसके अतिरिक्त, उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट और इसकी लखनऊ पीठ में तीन वर्षों के लिए वकालत करने से भी रोक दिया गया है।
आगे की कार्रवाई
अदालत ने अशोक पांडे को चार सप्ताह के भीतर लखनऊ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है। साथ ही, उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, जिसमें पूछा गया है कि उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट और इसकी लखनऊ पीठ में वकालत करने से स्थायी रूप से क्यों न रोका जाए।
इस निर्णय से स्पष्ट होता है कि न्यायालय अपनी गरिमा और अनुशासन के प्रति कोई समझौता नहीं करता और ऐसे आचरण को सख्ती से दंडित करता है।