इंदौर | गर्मियों की शुरुआत में ही इंदौर पानी के संकट से जूझने लगा है। शहर और ग्रामीण इलाकों में भूजल स्तर तेजी से गिरने के कारण प्रशासन ने कड़ा कदम उठाया है। कलेक्टर आशीष सिंह ने 20 मार्च से 15 जून 2025 तक बोरवेल खुदाई (नलकूप खनन) पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। आदेश न मानने वालों पर एफआईआर दर्ज होगी और बोरिंग मशीन जब्त कर ली जाएगी।
इंदौर | रिपोर्ट: विधिक आवाज ऑफिशियल
क्यों लगी पाबंदी?
शहरी और ग्रामीण इलाकों में जलस्तर खतरनाक स्तर तक गिर चुका है।
अवैध बोरिंग से पानी के प्राकृतिक स्रोत खत्म हो रहे हैं।
प्रशासन जल संकट से निपटने के लिए कड़े कदम उठा रहा है।
कानूनी कार्रवाई: कौनसी धाराएं लागू होंगी?
अगर कोई व्यक्ति या एजेंसी इस आदेश का उल्लंघन करती है, तो इन धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी:
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 188 – सरकारी आदेश न मानने पर दंड।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 15 – अवैध बोरिंग से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने पर दंड।
मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम, 1961 की धारा 346 – नगर प्रशासन के आदेशों का उल्लंघन करने पर कार्रवाई।
जल संरक्षण अधिनियम, 1974 – पानी के अवैध दोहन पर कानूनी कार्रवाई।
क्या है आदेश?
कोई भी निजी या अशासकीय नलकूप खनन नहीं कर सकेगा।
जो बोरिंग मशीन जिले में प्रवेश करेगी, उसे जब्त कर लिया जाएगा। कलेक्टर ने सभी राजस्व, पुलिस और नगर निगम अधिकारियों को आदेश दिया है कि वे निगरानी करें और उल्लंघन करने वालों पर तत्काल कार्रवाई करें।
सरकारी योजनाओं के तहत किए जाने वाले नलकूप उत्खनन को छूट दी गई है। जरूरत पड़ने पर प्रशासन निजी जल स्रोतों का अधिग्रहण भी कर सकता है।
क्या होगा जल संकट का हल?
पाइपलाइन और टैंकरों के जरिए पानी की आपूर्ति बढ़ाई जाएगी। नलकूपों के अनियंत्रित खनन पर सख्ती से रोक लगाई जाएगी। वैकल्पिक जल स्रोतों का इस्तेमाल किया जाएगा।
संकेत साफ हैं – पानी बचाना है तो नियम मानना होगा। वरना प्रशासन कानूनी शिकंजा कसने से पीछे नहीं हटेगा।
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