उज्जैन में शराब बिक्री पर प्रतिबंध, लेकिन काल भैरव मंदिर में जारी रहेगी मदिरा भोग की परंपरा


उज्जैन। मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के 17 धार्मिक नगरों में शराब विक्रय पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिसमें उज्जैन भी शामिल है। इस फैसले के तहत 31 जनवरी से इन शहरों में स्थित सभी शराब दुकानें बंद कर दी जाएंगी। धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से इस निर्णय का व्यापक स्वागत किया जा रहा है, लेकिन उज्जैन के प्राचीन श्री काल भैरव मंदिर की एक विशिष्ट परंपरा को ध्यान में रखते हुए, कुछ सवाल भी खड़े हो रहे हैं।

विधिक आवाज समाचार समूह |उज्जैन
✍️✍️पोस्ट बाय विश्वामित्र अग्निहोत्री
31 मार्च 2025

काल भैरव मंदिर में मदिरा भोग की परंपरा

उज्जैन स्थित श्री काल भैरव मंदिर में भक्तगण लंबे समय से भगवान को मदिरा का भोग अर्पित करते आ रहे हैं। यह परंपरा सदियों पुरानी है और श्रद्धालु इसे भगवान की कृपा प्राप्त करने का एक माध्यम मानते हैं। किंतु अब, शहर में शराब विक्रय पर प्रतिबंध लगने के कारण, मंदिर आने वाले भक्तों को यह भोग लगाने के लिए शराब बाहर से लानी पड़ेगी।

कलेक्टर ने की विशेष अनुमति की मांग

उज्जैन के कलेक्टर ने इस परंपरा के महत्व को देखते हुए सरकार को एक विशेष अनुरोध पत्र भेजा है। उन्होंने शासन से मांग की है कि मंदिर के सामने स्थित एक शराब दुकान को चालू रखने की अनुमति दी जाए, ताकि श्रद्धालुओं को अनावश्यक असुविधा का सामना न करना पड़े। इस प्रस्ताव पर अभी सरकार का अंतिम निर्णय आना बाकी है।


श्रद्धालुओं की चिंताएँ
इस निर्णय के बाद, श्रद्धालुओं के मन में कई सवाल उठ रहे हैं—

क्या सरकार इस परंपरा को ध्यान में रखते हुए कोई विशेष प्रावधान करेगी?

यदि मंदिर के पास शराब बिक्री की अनुमति नहीं मिलती, तो क्या श्रद्धालु इस परंपरा का निर्वाह कर पाएंगे?

क्या सरकार कोई वैकल्पिक व्यवस्था करेगी ताकि भक्तों को सुविधा हो?


धार्मिक और सामाजिक प्रभाव

धार्मिक नगरी में शराब पर प्रतिबंध लगाने के निर्णय की
 सराहना की जा रही है, क्योंकि इससे आध्यात्मिक वातावरण को और पवित्रता मिलेगी। लेकिन, काल भैरव मंदिर की परंपरा को देखते हुए, यह सरकार के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति भी बन गई है। शासन को अब संतुलन बनाते हुए यह तय करना होगा कि वह धार्मिक आस्थाओं का सम्मान करते हुए नियमों में किस प्रकार समायोजन कर सकता है।

फिलहाल, प्रशासन इस मामले पर विचार कर रहा है और जल्द ही इस संबंध में कोई ठोस निर्णय लिया जा सकता है। श्रद्धालुओं और संत समाज को अब सरकार के फैसले का इंतजार है।



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