इंदौर नगर निगम ने सिटी बस कंपनी के माध्यम से बीआरटीएस कॉरिडोर पर विज्ञापन बोर्ड लगाने का ठेका जारी रखते हुए 10 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार का नया खेल खेला है। महापौर पुष्यमित्र भार्गव पर आरोप लगाते हुए विपक्षी नेता चिंटू चौकसे ने दावा किया कि कोरोना बहाने पर दी गई छूट से विज्ञापन शुल्क जमा नहीं हो पाया। राज्य सरकार द्वारा जारी नीति का उल्लंघन करते हुए बढ़े आकार के विज्ञापन बोर्ड लगाए गए हैं। चौकसे ने लोकायुक्त में शिकायत दर्ज कर जांच हेतु एसआईटी गठित करने की मांग की है। यह मामले में प्रशासनिक जवाबदेही की माँग है।
विधिक आवाज समाचार समूह से
विश्वामित्र अग्निहोत्री की खास रिपोर्ट ।
इंदौर: नगर निगम में 10 करोड़ रुपये के एक नए भ्रष्टाचार के घोटाले की धारा फिर तेज हो गई है। 1 मार्च 2019 को सिटी बस कंपनी के माध्यम से बीआरटीएस कॉरिडोर पर यूनिपोल, लॉलीपॉप और बस स्टॉप के विज्ञापन बोर्ड का ठेका जयपुर आधारित एनएस पब्लिसिटी को पांच साल के लिए दिया गया था, जिसकी अवधि 1 मार्च 2024 को समाप्त हो चुकी है। लेकिन विवाद तब खड़ा हुआ जब ठेका समाप्ति के बावजूद कंपनी को बिना किसी शुल्क के बोर्ड लगाए रखने की अनुमति दी गई। अनुमानित 10 करोड़ रुपये की इस राशि को नगर निगम के खाते में दर्ज नहीं कराया गया।
नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने इस मामले में महापौर पुष्यमित्र भार्गव पर संदेह का आरोप लगाया है। चौकसे का कहना है कि यदि महापौर इस घोटाले में संलिप्त नहीं हैं तो वह स्वयं लोकायुक्त में शिकायत दर्ज कराएं और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करें। आरोपों के अनुसार, कोरोना काल का बहाना बनाकर नगर निगम ने सिटी बस कंपनी को छूट देकर ठेके को निरंतर जारी रखने का आदेश दिया था, जिससे विज्ञापन शुल्क वसूली में चूक हुई।
राज्य सरकार ने इस आदेश को गलत ठहराते हुए नगर निगम और सिटी बस कंपनी को पत्र लिखकर चेतावनी दी थी। 2014 में जारी नीति के अनुसार, सड़कों के विभाजन, चौराहों, महापुरुषों की प्रतिमाओं के पास और गार्डनों के आसपास यूनिपोल विज्ञापनों की अनुमति नहीं है, और फुटपाथों से विज्ञापन सामग्री हटाने के निर्देश भी दिए गए थे। इसके बावजूद बीआरटीएस कॉरिडोर में, ठेकेदार कंपनी ने लॉलीपॉप के लिए निर्धारित 3 फीट x 4 फीट के विज्ञापन बोर्ड का आकार बढ़ाकर 3 फीट x 5 फीट कर दिया, जिससे नियमों का स्पष्ट उल्लंघन सामने आया।
एक अन्य मामले में, भंवरकुआं चौराहे पर आईडीए द्वारा बनाए गए फ्लाईओवर ब्रिज के पास लगे विज्ञापन बोर्ड को हटाकर एजेंसी के पास कर लिया गया, जिससे सरकारी संपत्ति के हड़पने का भी आरोप लगा है। नगर निगम के अधिकारियों ने अब तक इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं की है, जबकि विपक्ष प्रशासनिक जवाबदेही और पारदर्शिता की मांग कर रहा है।