नगर निगम की दोहरी नीति: गरीबों पर सख्ती, रसूखदारों को राहत...


गरीबों पर कार्रवाई, रसूखदारों को राहत: नगर निगम की दोहरी नीति बेनकाब

  • गरीबों पर सख्ती, रसूखदारों पर खामोशी
  • ग्रीन बेल्ट पर कब्जे, पर कार्रवाई नदारद
  • नगर निगम की पक्षपाती नीति उजागर
विधिक आवाज समाचार समूह : 16 नवंबर 2024 
पोस्ट बाय ✍️✍️ विश्वामित्र अग्निहोत्री 

नगर निगम की कार्यवाही पर सवाल उठ रहे हैं, जहां अमीर, दबंग और राजनीतिक संबंध रखने वाले लोगों को माफ कर दिया जाता है, जबकि गरीब, असहाय और लाचार लोगों पर कठोर कार्यवाही की जाती है। यह भेदभावपूर्ण रवैया विभाग की निष्पक्षता और न्यायप्रियता पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। प्रशासन को समान कानून लागू करते हुए हर नागरिक के साथ निष्पक्षता बरतनी चाहिए।


इंदौर के सांवेर रोड स्थित दीपमाला ढाबे के पीछे भवानी नगर में नगर निगम की कार्यवाही को लेकर गहरी असंतुष्टि देखी जा रही है। यहां गरीबों की छोटी दुकानें और मकान बिना सूचना और बिना समय दिए ध्वस्त कर दिए गए, जबकि आसपास की अवैध फैक्ट्रियां और बड़े कब्जे, जो ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में बने हुए हैं, निगम की नज़र से अछूते हैं।

भवानी नगर के निवासियों का आरोप है कि नगर निगम की नजर केवल उन गरीब और असहाय लोगों पर जाती है, जिनके पास अपने अधिकारों की रक्षा के लिए साधन नहीं हैं। वहीं, बड़े रसूखदारों, फैक्ट्री मालिकों और राजनीतिक संबंध रखने वालों पर निगम कोई कार्रवाई नहीं करता। ऐसा माना जा रहा है कि इन लोगों से मोटी रकम और राजनीतिक दबाव के कारण नगर निगम उनके खिलाफ कार्रवाई करने से बचता है। 


यह दोहरी कार्यप्रणाली नगर निगम की निष्पक्षता और न्यायप्रियता पर गंभीर सवाल खड़े करती है। गरीबों की दुकानें और मकान गिराना, जबकि रसूखदारों को छूट देना, साफ तौर पर दिखाता है कि निगम केवल कमजोर वर्ग पर ही कार्रवाई कर रहा है। प्रशासन को इस मामले में जवाबदेही तय करनी चाहिए और सभी के साथ समान व्यवहार सुनिश्चित करना चाहिए।

सरकार की कथनी और करनी में अंतर: गरीबों के लिए योजनाएं, लेकिन जमीन पर उपेक्षा

एक ओर सरकार गरीबों के उत्थान और राहत के लिए योजनाओं का ऐलान करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर उनकी अनदेखी होती है। वादे और घोषणाएं केवल कागजों तक सीमित रह जाती हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि गरीबों को उनका हक और सुविधाएं नहीं मिल पातीं। सरकार की यह दोहरी नीति गरीबों के विश्वास को कमजोर करती है और उनकी स्थिति में सुधार लाने के बजाय उन्हें और हाशिये पर धकेल देती है।

ये वो अवैध कब्जे है जिनपर निगम मेहरबान है 


गरीबों की आवाज दबाई, रसूखदारों पर चुप्पी: विधिक आवाज समाचार की पड़ताल में खुलासा

विधिक आवाज समाचार समूह के सह संपादक विश्वामित्र अग्निहोत्री ने तोड़फोड़ प्रभावित गरीब लोगों से बातचीत कर उनकी पीड़ा को जाना। बातचीत में खुलासा हुआ कि जहां गरीबों की दुकानें और मकान बिना सूचना ध्वस्त कर दिए गए, वहीं आसपास कई फैक्ट्रियां और दुकानें ऐसी हैं जिन्होंने ग्रीन बेल्ट पर अवैध कब्जा कर रखा है।

श्री हरि टोल कांटा जो की पूरी तरह से ग्रीन बेल्ट पर कब्जा करके बैठा है 


इन अवैध कब्जों के बावजूद नगर निगम और प्रशासन उन पर कार्रवाई नहीं कर रहा, क्योंकि इनका संबंध बड़े राजनीतिक रसूखदारों से है। गरीबों का आरोप है कि मोटी रकम और राजनीतिक दबाव के कारण निगम की कार्रवाई केवल कमजोर और असहाय लोगों पर होती है ।

इस स्थिति ने सरकारी तंत्र की निष्पक्षता और गरीबों के प्रति उनके रवैये पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसे भेदभावपूर्ण रवैये से सरकार और प्रशासन की साख पर बट्टा लग रहा है। जरूरत है कि हर वर्ग के साथ समानता और न्याय सुनिश्चित किया जाए।

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