मां शारदा विधा मंदिर राजाखेड़ी संचालक एवं रविवार प्राचार्य एम एल ।
प्राणी मात्र उत्पत्ति गरम गभ में भी प्रज्वलित रहता है वह दैवीय शक्ति का ही प्रताप है । उसकी सदैव रक्षा हो इसलिए शारदीय नवरात्रि में नौ देवियों की शक्ति आराधना को त्यौहार के प्रतीक के रूप में यह भक्ति नृत्य गभ उत्सव के नाम से मनाया जाता है।जिसे गुजराती में गरबा उत्सव कहा जाता है एक मिट्टी के घड़े में विभिन्न छेद रहते हैं जिससे भीतर एक दीप प्रज्ज्वलित किया जाता है , उसकी किरणें उस घड़े के आसपास शक्ति की आराधना के फल स्वरुप भक्ति नृत्य प्रस्तुत किये जाते हैं ।
नवरात्रि जिसका शाब्दिक अर्थ है नौ राते जो देवी को समर्पित है , देवी का वह रूत्री रूप जिसमें नौ रूपों में भयंकर खड्ग और तलवार चलाने वाली कालरात्रि से लेकर बहांड की मुस्कुराती हुई निर्मात्री कुष्मांडा तक यह त्योहार कई धार्मिक प्रणालियों से मनाया जाता है , जो की अनेक प्रांतो में विभिन्न रूपों में दिखाई देता है ,गरबा नृत्य मंडलाकार रूप में किया जाता है क्योंकि मनुष्य अपने जीवन चक्र में अनेक परिस्थितियों अनेक भाव भंगिमाओं एवं अनेक शौलियों के बीच से होकर गुजरता है तथा इस गोलीय भूमंडल में विभिन्न योनियों में अवतरित होकर कर्म करता है इसलिए इस शरीर में प्राण दीप रूपी ऊर्जा को ईश्वरीय या दैवीय स्वरूप मानकर परिक्रमा करके भक्ति पूर्वक इस उर्जा को सुरक्षित रखने का प्रयास करने क नाम है दुर्गा पूजा ।
मंदसौर ग्राम राजाखेड़ी में गरबा नृत्य के रूप में माता के नौ रूपों की पूजा अर्चना नृत्य के रूप में प्रस्तुत किया जाता है , इसलिए इसकी पवित्रता और गरिमा को सुरक्षित रखते हुए धार्मिक संसाधनों से ओतप्रोत होकर श्रद्वा एवं भक्ति पूर्वक माता की पूजा अर्चना करना चाहिए ना कि आधुनिक नुत्य के नाम पर गंद पसार कर ।
आज कल जहा देखो वहा माता के नाम पर अर्ध नग्न अवस्था में वस्त्र धारण करके। अश्लील गानों पर अश्लीलता फुहड़ता परोसी जा रही है । क्या यही है माता के नौ रूपों की आराधना कहा से कहा आ गया आजकल का इंसान ।
विधि का आवाज न्यूज़ रिपोर्टर श्याम लाल चंद्रवंशी पत्रकार