सिपाही किससे रखे आस जब आला अधिकारी ही नहीं दे रहे साथ ..


सिपाही किससे रखे आस जब आला अधिकारी ही नहीं दे रहे साथ

इंदौर : मिनी मुंबई’ कहे जाने वाले मध्यप्रदेश के इंदौर ने सफाई में तो देशभर में अव्वल स्थान बनाया है, लेकिन यहां ट्रैफिक का हाल पूछें, तो बहुत ही बुरा है । आबादी बढ़ने के साथ ही शहर के तमाम चौक-चौराहों पर लगने वाले जाम ने इंदौरियों का हाल बेहाल कर रखा है । जाम और बिगड़े यातायात की समस्या इस कदर परेशानी का सबब बन रही है । इंदौर के बिगड़े ट्रैफिक को सुधारने के लिए अगर कोई ट्रैफिक सिपाही जरा सी शक्ति क्या दिखाए उसे अपनी वर्दी से ही हाथ धोना पड़ सकता है ये आलम है इंदौर के ट्रैफिक सिस्टम का । एक तो जी जान से ईमानदारी से काम करो और अगर कोई नागरिक बत्तमीजी करे तो उसकी बात भी सुनो , बात तो ठीक है वक्त पड़े तो लोगो से मार भी खाओ लेकिन आला अधिकारी तो आंखों पर काला चस्मा लगाए बैठे है। क्या पता किस बात से इन्हे डर रहता है । 

डी सी पी  ने बिना कुछ सुने दे दी सजा । 

अनुराग शर्मा जोक नंदा नगर में रहते हैं और 6 महीने पहले ही ट्रैफिक पुलिस की नौकरी में आए हैं । उनकी नई नई नौकरी लगी थी पर यह बात एक सिपाही अच्छे से जानता हैं कि किसी पर हाथ नहीं उठाना चाहिए । अनुराग शर्मा का दावा है कि उन्होंने किसी को नहीं मारा है फिर भी उन पर पर मारपीट का आरोप लगाया गया है । रसोमा चौराहे पर रॉन्ग साइड से आई एक किन्नर को रोकने पर हंगामा हुआ जिस पर डीसीपी ट्रैफिक अरविंद तिवारी के सामने बात रखने की कोशिश भी करी मगर उन्होंने नहीं सुनी । आखिर अनुराग शर्मा को किस बात की सजा मिली । अपनी ड्यूटी निभाने की ईमानदारी से काम करने की । सिपाही के साथ जो बर्ताव हुआ उस बात की चर्चा पूरे इंदौर में आग की तरह फ़ैल चुकी है । कहां जा रहा है कि पुलिस पर हाथ उठाने वाले पर कार्रवाई की जानी चाहिए सिपाही पर ही कार्रवाई कर डाली और नए नए आए सिपाही का मनोबल तोड़ दिया अक्सर लोग नियम तोड़ते हैं , उन्हें समझाना पड़ता है । इंदौर में हर जगह नियम तोड़े जाते हैं चौराहे पर तो चालान बनाने के बाद ही लोग सुधरने को तैयार नहीं होते । और ट्रैफिक पुलिस से ही हाथा पाई तक करने लग जाते है ।

एक जवान पूरे विभाग का प्रतिधत्व करता है बिना सोचे समझे आला अधिकारी अगर कोई निर्णय लेते है तो यह न इंसाफी होगी । जबकि यातायात पुलिस के भी अपने कुछ अधिकार है । 

कडी धूप, बारीश हो या ठंड का मौसम हम जैसे आम लोग एक ओर घर मे सुरक्षा की साथ चैन की निंद लेते है वही दुसरी ओर पुलिस विभाग दिन दोपहर या रात हो समाज की सुरक्षा के चौक्सी मे लगे दिखाई पडते है जहा उनका परिवार भी सकून के दो पल इन लोगो के साथ गुजारने को तरसते दिखाई पडते है। समाज के उत्पाती और गुणेह्गार तत्वो के खिलाफ कार्य करते हुये ये लोग हरदम किन कठीनाईयो से गुजरते है शायद ही इसका अंदाझा हम घर बैठे लगाये तो मुश्कील सा लगता है।

अगर कोई  ट्रैफिक पुलिस से बहस कर तो  संभावित कार्रवाई की जा सकती है ।

अगर कोई व्यक्ति ट्रैफिक पुलिस के साथ बहस करता है और नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसे अदालत में पेश होने के लिए समन भेजा जा सकता है । पुलिस बहस करने पर अतिरिक्त जुर्माना भी लगा सकती है । अगर बहस के दौरान कोई व्यक्ति पुलिसकर्मी के साथ दुर्व्यवहार करता है या हाथापाई करता है, तो उसे गिरफ्तार भी किया जा सकता है।

इन अधिकारों का उपयोग ट्रैफिक पुलिस द्वारा इसलिए किया जाता है ताकि सड़कों पर अनुशासन और सुरक्षा बनी रहे. इसलिए, हमेशा ट्रैफिक नियमों का पालन करें और पुलिस के साथ सहयोग करें । 

" सैकड़ो अक्लमंद मिलते हैं,

काम के लोग चंद मिलते हैं,

जब मुसीबत आती है,

तब पुलिस के सिवाय,

सभी के दरवाजे बंद मिलते हैं।”

बाहर हाल देखना यह है की ट्रैफिक पुलिस जवान ऑन ड्यूटी  वर्दी पर हाथ उठाने वाले पर क्या कार्यवाही की जाती है या फिर अपनी ड्यूटी मुस्तेदी से करने वाले अपने ही डिपार्टमेंट के जवान पर गिरेगी गाज ।

,,,,,,,,,,,,,,

✍️विश्वामित्र अग्निहोत्री 

Previous Post Next Post

Featured Posts

Ads

نموذج الاتصال