नई दिल्ली: मार्केट रेगुलेटर सेबी ने 76,293 करोड़ रुपये बकाया राशि की वसूली को मुश्किल की श्रेणी में रखा है। यह पिछले साल की तुलना में 4% अधिक है। इसमें से एक बड़ा हिस्सा अदालत के आदेश से नियुक्त समितियों के समक्ष लंबित मामलों के कारण है। यह ऐसी बकाया राशि है जिसकी वसूली कठिन है। यह ऐसी राशि है जिनकी वसूली रिकवरी के सभी उपायों को लागू करने के बाद भी नहीं हो पाई है। सेबी ने 2023 की अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा कि वसूली में मुश्किल बकाए को अलग करना पूरी तरह से एक प्रशासनिक कार्य है। यह अधिकारियों को डीटीआर के रूप में अलग की गई राशि की वसूलने से नहीं रोकेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च, 2024 तक सेबी ने डीटीआर के रूप में 807 मामलों की पहचान की थी। इन पर कुल बकाया 76,293 करोड़ रुपये था। वहीं पिछले साल 73,287 करोड़ रुपये के 692 मामले थे। इन 807 मामलों में से 36 मामले विभिन्न अदालतों, एनसीएलटी और एनसीएलएटी में चल रही कार्यवाही के कारण लंबित हैं। इन मामलों 12,199 करोड़ रुपये की राशि शामिल हैं। इसके अलावा, 60 मामले अदालत द्वारा गठित समितियों के समक्ष हैं। इनमें 59,970 करोड़ रुपये शामिल हैं। इन दोनों श्रेणियों में अब तक वसूल नहीं की जा सकी कुल राशि का 95 प्रतिशत हिस्सा है।
सेबी का कुल बकाया
सेबी अपनी कार्यवाही की पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सालाना रिपोर्ट के माध्यम से 2021-22 के बाद से बकाया राशि वसूली के मुश्किल मामलों को लेकर आंकड़े जारी कर रहा है। कुल मिलाकर सेबी का बकाया 1.03 लाख करोड़ रुपये है। एडजुकेटिंग ऑफिसर द्वारा लगाए गए जुर्माने को वसूलने का अधिकार भी सेबी के पास है। 2023-24 में सेबी के पास 342 नए मामले जांच के लिए आए जबकि 2022-23 में यह संख्या 144 थी। इसमें से अधिकांश मामले सिक्योरिटी कानून के उल्लंघन से जुड़े थे. इनमें कीमतों में छेड़छाड़ और इनसाइडर ट्रेडिंग के मामले शामिल हैं।