इंदौर : विधायक के भांजे पर ज़मीन कब्जे का आरोप, पुलिस पर निष्क्रियता के सवाल


इंदौर: विधायक गोलू शुक्ला के भांजे पर जमीन कब्जे और तोड़फोड़ का आरोप, राजनीतिक दबाव में पुलिस पर निष्क्रियता का सवाल

इंदौर, 16 जून 2025:

इंदौर में सनातनी विधायक के रूप में पहचाने जाने वाले क्षेत्र क्रमांक 3 के विधायक गोलू शुक्ला एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार उन पर लगे 'कलंक' का श्रेय उनके भांजे **सागर तिवारी** को जा रहा है, जिस पर रविवार देर रात (15 जून 2025) गुंडागर्दी से जमीन पर कब्जा करने और जेसीबी से तोड़फोड़ करने का गंभीर आरोप लगा है। पीड़ित पक्ष का आरोप है कि राजनीतिक दबाव के चलते बाणगंगा थाना प्रभारी ने भी आवेदन लेकर उन्हें टरका दिया।

क्या है पूरा मामला?

मामला इंदौर के प्रतिष्ठित कॉलोनाइजर **नवीन गोधा** की अरबिंदो के समीप मगरखेड़ा स्थित भूमि का है। नवीन गोधा इस जमीन पर 'प्रणाम परिसर' नाम से एक कॉलोनी विकसित कर रहे हैं। इसी कॉलोनी के पास सागर तिवारी भी 13 बीघा जमीन पर कॉलोनी काटने का कार्य कर रहा है।

जानकारी के अनुसार, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (T&CP) डायवर्सन 16 बीघा या उससे अधिक जमीनों को दिया जाता है। बताया जा रहा है कि अपनी कॉलोनी को परमिशन दिलवाने के लिए सागर तिवारी, नवीन गोधा की 3 बीघा जमीन पर अवैध कब्जा करना चाह रहा है, ताकि उसकी कुल जमीन 16 बीघा हो सके।

जेसीबी से तोड़फोड़, मारपीट और जान से मारने की धमकी

इस पूरे विवाद में नवीन गोधा ने पहले ही पटवारी से नपती करवा ली थी और अपनी पूरी जमीन पर बाउंड्री वॉल बनवा दी थी। पीड़ित नवीन गोधा के अनुसार, कल रात सागर तिवारी अपने साथ 30 से 40 गुंडों को लेकर मौके पर पहुंचा। इन गुंडों ने जेसीबी से जमकर तोड़फोड़ मचाई। मौके पर मौजूद लोगों से मारपीट भी की गई और जान से मारने की धमकी दी गई।

सबसे गंभीर आरोप यह है कि पूर्व पार्षद मदन मोहन प्रजापति को गोली मारकर जान से मारने की धमकी दी गई।

राजनीतिक दबाव में पुलिस पर निष्क्रियता का आरोप

इस घटना के बाद पूर्व पार्षद मदन मोहन प्रजापति और कॉलोनाइजर नवीन गोधा तुरंत बाणगंगा थाने पहुंचे। उन्होंने थाना प्रभारी सियाराम गुर्जर से पूरे मामले में प्रकरण दर्ज करने की मांग की। लेकिन, पीड़ित पक्ष का आरोप है कि यह पूरा मामला हाई प्रोफाइल होने और विधायक के भांजे से जुड़ा होने के कारण राजनीतिक दबाव में थाना प्रभारी ने केवल आवेदन लेकर उन्हें टरका दिया और जांच का आश्वासन देकर इतिश्री कर ली।

देखिए पूरी खबर ..
इस घटना ने एक बार फिर सत्ता के करीबी लोगों द्वारा कानून को हाथ में लेने और पुलिस प्रशासन पर संभावित राजनीतिक दबाव के सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह होगा कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है और पीड़ितों को न्याय मिल पाता है या नहीं।
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