मंडी में व्यापारियों का कब्जा, किसान खुले आसमान के नीचे – बारिश में सड़ रहा अनाजमहू कृषि उपज मंडी में हर साल दोहराया जा रहा 'अन्याय का मौसम'
स्थान: कृषि उपज मंडी, महू
रिपोर्ट: विश्वामित्र अग्निहोत्री की खास रिपोर्ट, विधिक आवाज़ न्यूज़
इंदौर/महू। कृषि प्रधान देश कहे जाने वाले भारत में आज भी अन्नदाता सबसे उपेक्षित है। महू की कृषि उपज मंडी इसका ताजा उदाहरण बन गई है। यहां किसान खुले में बैठा है, उसका अनाज बारिश में भीगकर सड़ रहा है, जबकि मंडी के शेड—जहां अनाज को सुरक्षित रखना चाहिए—वहां व्यापारियों का स्थायी कब्जा बना हुआ है।
किसानों का अनाज सड़ा, बदबू फैली – प्रशासन मौन
बारिश के कारण खुले में पड़ा हजारों क्विंटल अनाज खराब हो चुका है, जिससे मंडी परिसर में दुर्गंध फैल गई है। लेकिन मंडी प्रशासन और स्थानीय अफसर मूकदर्शक बने हुए हैं। किसानों का कहना है कि वे कई दिनों से अपनी उपज की तुलाई के लिए मंडी आते हैं, लेकिन शेड में जगह नहीं मिलने के कारण उन्हें अपनी उपज सड़क किनारे या खुले में डालनी पड़ती है।
शेड पर कब्जा – किसका हक, किसकी चिंता?
मंडी परिसर में बने शेड, जो मूलतः किसानों की उपज को बारिश और धूप से बचाने के लिए हैं, वहां लंबे समय से व्यापारियों ने कब्जा कर रखा है। जब इस पर सवाल किया गया तो व्यापारियों ने दलील दी कि "तुलाई के बाद अनाज अब हमारा है, हम चाहें जहां रखें।"
हर साल की वही कहानी, सुनवाई अब भी अधूरी
किसानों ने इस मुद्दे को लेकर एसडीएम राकेश परमार से गुहार लगाई, जिन्होंने तीन दिन में समाधान का आश्वासन दिया। लेकिन किसानों का कहना है कि यह समस्या कोई नई नहीं है – हर साल यही हाल होता है, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकलता।
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उनका आरोप है कि प्रशासन और मंडी सचिव व्यापारियों के पक्ष में खड़े हैं, किसानों की तकलीफों पर उन्हें कोई "अफसोस" नहीं होता।
किसानों की पुकार:
"हम अन्न उगाते हैं, लेकिन यहां कोई हमारी सुध नहीं लेता। हमारा अनाज सड़ रहा है और मंडी में बैठे अफसर सिर्फ वादा कर रहे हैं। क्या यही है किसान सम्मान?" – एक आक्रोशित किसान
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