रत्नागिरि : "कैसे पहचानें असली हापुस आम?"


नकली हापुस से सावधान: रत्नागिरि के किसानों ने बताए असली हापुस आम की पहचान के तरीके

विधिक आवाज़ समाचार | रत्नागिरि/इंदौर
सोनिया अग्निहोत्री | दिनांक: 8/5/2025

गर्मियों का मौसम यानी आमों का सीजन। बाज़ारों में इन दिनों ‘हापुस’ या ‘अल्फांसो’ आम की भरमार दिखाई देती है, लेकिन इनमें से सभी असली नहीं होते। महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले के किसान और विशेषज्ञों ने चेताया है कि बड़ी संख्या में आम नकली हापुस के रूप में बेचे जा रहे हैं, जो न केवल गुणवत्ता में कमजोर हैं, बल्कि सेहत के लिए भी नुकसानदायक हो सकते हैं।

असली हापुस की खुशबू ही उसकी असली पहचान है

रत्नागिरि जिले के एक अनुभवी किसान प्रसन्न पेठे के अनुसार, "असली हापुस आम को पहचानने की सबसे खास विशेषता उसकी प्राकृतिक मीठी खुशबू होती है। पेड़ से तोड़ने के कुछ ही दिनों बाद इसमें एक ऐसी खुशबू आ जाती है जिसे एक से दो फीट की दूरी से भी महसूस किया जा सकता है।"

उन्होंने बताया कि नकली हापुस या केमिकल से पकाए गए आमों में यह सुगंध नहीं होती। ऊपर से देखने पर चाहे आम सुंदर लगें, लेकिन यदि उनमें हापुस की यह विशेष गंध नहीं है, तो वो शक के घेरे में आते हैं।

रंग और बनावट भी करते हैं असली-नकली का खुलासा

पेठे ने बताया कि असली हापुस का रंग एकसमान नहीं होता। उसमें पीले, नारंगी और हल्के हरे रंग के शेड्स दिखाई देते हैं। इसके विपरीत जो आम एकदम चमकदार पीले होते हैं, वे आमतौर पर कार्बाइड या एथिलीन गैस से पकाए गए होते हैं।

असली हापुस का आकार अंडाकार और सधा हुआ होता है, किनारे हल्के उठे हुए, छिलका पतला और मुलायम होता है। इसे हल्के से दबाने पर उंगलियों के निशान पड़ते हैं। गुठली भी पतली होती है।

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जीआई टैग है पहचान की गारंटी

किसान महेश तिलोटकर ने कहा कि आजकल बदामी, केसर या लंगड़ा जैसे सस्ते आमों को हापुस बताकर ग्राहकों को गुमराह किया जाता है। इनका स्वाद, सुगंध और बनावट असली हापुस से मेल नहीं खाते।

उन्होंने कहा, "रत्नागिरि हापुस को जीआई टैग (Geographical Indication) मिला हुआ है, जो इसकी भौगोलिक और गुणवत्ता की विशेषता का प्रमाण है। असली हापुस आम जीआई टैग वाले बॉक्स में ही आते हैं।"

फर्जी हापुस की आड़ में मिलावट का खेल

किसान रूपेश देसाई ने बताया कि कई व्यापारी रत्नागिरि और देवगढ़ के नाम से बॉक्स खरीद लेते हैं और उनमें दक्षिण भारत के आम भरकर बेचते हैं, जिससे उपभोक्ता भ्रमित हो जाते हैं।
स्वास्थ्य को खतरा: केमिकल से पकाए आम से हो सकती हैं गंभीर बीमारियाँ

एसजीएसआईटीएस के एप्लाईड केमिस्ट्री विभाग के पूर्व प्रोफेसर डॉ. नितिन सप्रे का कहना है कि एथिलीन या कैल्शियम कार्बाइड जैसे रसायनों से पकाए गए आम न केवल स्वादहीन होते हैं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक हो सकते हैं।

डॉ. सप्रे के अनुसार, "इन रसायनों से पकाए गए आम ऊपर से पके हुए दिखते हैं लेकिन अंदर से कच्चे और फीके होते हैं। इनसे सांस की समस्या, गले में जलन, सिरदर्द और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियाँ भी हो सकती हैं।"

कैसे बचें नकली हापुस से?

जीआई टैग वाले बॉक्स की मांग करें।

खुशबू पहचानें — मीठी और प्राकृतिक खुशबू असली हापुस की निशानी है।

एकसमान रंग वाले चमकदार आमों से सावधान रहें।

छिलका मुलायम हो और दबाने पर निशान पड़ें — यही असली की पहचान है।

जरूरत हो तो किसान उत्पादक संघों से संपर्क करें या ऑनलाइन प्रमाणित विक्रेताओं से खरीद करें।

निष्कर्ष:

गर्मियों में आमों का स्वाद सबको लुभाता है, लेकिन स्वाद के चक्कर में नकली हापुस आम को खरीदना न केवल जेब पर भारी पड़ सकता है, बल्कि सेहत के लिए भी नुकसानदायक साबित हो सकता है। ज़रूरत है सतर्कता की — और खरीदारी से पहले थोड़ी समझदारी की।
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