बरहज तहसील मे भ्रष्टाचार का साम्राज्य, फाइलों मे होती है लाखों की डील बिना घूस के नही होता है कोई काम , प्राइवेट कर्मचारियों के जरिए होती है डील
विधिक आवाज समाचार |देवरिया उत्तर प्रदेश
राजेश कुमार यादव |दिनांक 22 मई 2025
देवरिया जनपद की बरहज तहसील इन दिनों भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुकी है। तहसील कार्यालय के भीतर भ्रष्टाचार इस कदर जड़ें जमा चुका है कि आम आदमी का बिना रिश्वत दिए कोई भी काम होना लगभग असंभव हो गया है। चाहे वह वरासत हो, नामांतरण, दाखिल-खारिज या जमीन की पैमाइश—हर कार्य के लिए "नगद दो, काम लो" की नीति अपनाई जा रही है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, तहसील परिसर में काम करने वाले अधिकारी जैसे एसडीएम, तहसीलदार और नायब तहसीलदार तक पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। यह भी सामने आया है कि कार्यालय में कार्य करवाने के लिए प्राइवेट लोगों की एक पूरी फौज काम कर रही है, जो अधिकारियों की शह पर आम जनता से मोटी रकम वसूलती है।
प्राइवेट कर्मचारियों का कब्ज़ा
तहसील के अंदर कामकाज सरकारी कर्मचारियों की बजाय प्राइवेट एजेंटों के माध्यम से कराया जा रहा है। ये एजेंट फाइलों को उठाने, रखने और अधिकारियों से अप्रूवल दिलाने तक का कार्य करते हैं। एक आम दाखिल-खारिज या वरासत के मामले में 10,000 से 50,000 रुपये तक की मांग की जाती है, जबकि भूमि विवाद या सीमांकन जैसे मामलों में यह रकम लाखों रुपये तक पहुंच जाती है।
जनता बेहाल, अफसर खामोश
इस भ्रष्ट तंत्र से त्रस्त आम लोग न्याय की आस में अधिकारियों के चक्कर काटते रहते हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ टालमटोल और अपमान का सामना करना पड़ता है। कई बार शिकायतें की गईं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हुआ। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि अगर किसी ने पैसा नहीं दिया, तो उसकी फाइल महीनों तक धूल फांकती रहती है।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
योगी सरकार भले ही भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति की बात करती हो, लेकिन बरहज तहसील की सच्चाई इसके विपरीत है। उच्च अधिकारियों की चुप्पी और लापरवाही ने इस भ्रष्टाचार को और भी गहराई से जड़ें जमाने का मौका दे दिया है।
अब देखना यह है कि सरकार और जिला प्रशासन इस गंभीर मामले में क्या कदम उठाते हैं, या फिर जनता इसी तरह रिश्वत की चक्की में पिसती रहेगी।