विदा भारत कुमार: मनोज कुमार का अविस्मरणीय सफर


भारतीय सिनेमा के प्रख्यात अभिनेता, निर्देशक और निर्माता मनोज कुमार का 87 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित इस दिग्गज कलाकार ने अपने सिनेमाई सफर में देशभक्ति की भावना को बड़े पर्दे पर जीवंत किया।

विधिक आवाज समाचार समूह 
विश्वामित्र अग्निहोत्री|4 अप्रेल 2025


एक सपने का सफर: दिल्ली से मुंबई तक

दिल्ली में जन्मे हरिकिशन गोस्वामी, जिन्हें दुनिया मनोज कुमार के नाम से जानती है, 1957 में फैशन फ़िल्म में छोटे किरदार से शुरुआत की। 1961 में कांच की गुड़िया से बतौर नायक पर्दे पर आए, लेकिन असली पहचान हरियाली और रास्ता (1962) से मिली।

राष्ट्रभक्ति के प्रतीक बने मनोज कुमार

शहीद (1964) में भगत सिंह का किरदार निभाकर उन्होंने सिनेमा में देशभक्ति की एक नई धारा को जन्म दिया। इसके बाद उपकार (1967), पूरब और पश्चिम (1970), क्रांति (1981) जैसी फिल्मों में उन्होंने राष्ट्रीय भावना को अपनी कला के माध्यम से सशक्त किया। प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के 'जय जवान, जय किसान' के नारे से प्रेरित होकर उन्होंने उपकार बनाई, जो आज भी प्रेरणादायक है।

अमिताभ बच्चन को दिया नया मोड़

जब अमिताभ बच्चन संघर्ष के दौर में थे, तब मनोज कुमार ने उन्हें रोटी, कपड़ा और मकान में मौका दिया। उन्होंने विश्वास जताया कि अमिताभ एक दिन महान अभिनेता बनेंगे, जो बाद में सच साबित हुआ।

धर्मेंद्र संग दोस्ती का अनमोल रिश्ता

धर्मेंद्र और मनोज कुमार की दोस्ती संघर्ष के दिनों से चली आ रही थी। दोनों ने साथ में करियर शुरू किया और जब धर्मेंद्र मुश्किल दौर में थे, तब मनोज कुमार ने उन्हें सहारा दिया। उनका रिश्ता सिर्फ पेशेवर नहीं बल्कि पारिवारिक भी था।

बंटवारे की पीड़ा और देशभक्ति का संकल्प

पाकिस्तान के ऐबटाबाद में जन्मे मनोज कुमार ने विभाजन का दर्द झेला था। अपने परिवार के साथ शरणार्थी कैंप में गुजारे दिन और अपनों को खोने की पीड़ा ने उनकी सिनेमा की सोच को गहराई दी और वह अपनी फिल्मों में राष्ट्रभक्ति के मूल्यों को प्रमुखता से रखने लगे।

'भारत' की छवि और सिनेमा के प्रति समर्पण

मनोज कुमार की देशभक्ति की छवि इतनी प्रभावशाली थी कि लोग उन्हें भारत ही मानने लगे। एक बार जब वह रेस्तरां में सिगरेट पी रहे थे, तो एक युवती ने गुस्से में कहा, "भारत होते हुए सिगरेट पीते हो?" यह उनकी छवि का प्रभाव था।

मनोज कुमार: एक प्रेरणादायक विरासत 

मनोज कुमार सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि एक विचारधारा थे। उन्होंने सिनेमा के जरिए भारतीय संस्कृति, मूल्यों और राष्ट्रभक्ति को बढ़ावा दिया। उनके लिखे संवाद, बनाई गई फिल्में और निभाए गए किरदार भारतीय सिनेमा के इतिहास में हमेशा अमर रहेंगे।

उनकी यादें, उनका योगदान और उनकी अमर छवि हमें सदैव प्रेरित करती रहेगी।

साभार
विधिक आवाज समाचार समूह 
विधिक आवाज समाचार समूह 



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