चैत्र नवरात्र के अष्टमी के दिन चौरा माई के पावन धाम मोलनापुर में श्री रामचरितमानस पाठ का हुआ आयोजन


मोलनापुर गांव की (चौरा मैया) धाम में चैत्र नवरात्रि के शुभ अवसर पर विगत वर्षों की भाँति इस बार भी पावन धाम पर श्री रामचरितमानस पाठ का आयोजन किया गया । 

विधिक आवाज समाचार  |मछलीशहर l उत्तर प्रदेश 
रिपोर्ट राजेश कुमार यादव |दिनांक 5अप्रैल 2025

गांव के सभी श्रद्धालु उपस्थित रहे ,बारी बारी से कलाकारों का जमावड़ा निरंतर लगा रहा ,

परिवार के सदस्यों में सिद्धनाथ दूबे,लाल साहब दूबे, कुँवर साहब दूबे,राकेश दूबे, उमेश दूबे,नागेश दूबे, बाबुलनाथ दूबे, दीनानाथ दूब तारकनाथ दूबे, कमलाकर द्विवेदी,अरविंद दूबे, लक्ष्मीकांत दूबे ,प्रकाश चंद्र दूबे,अवनिद्र दूबे, शत्रुध्न दूबे, करुणाकर द्विवेदी, कौशलेंद्र दूबे, मनोज दूबे, प्रमोद दूबे, ज्ञानेन्द्रनाथ दूबे, प्रदीप दूबे, अजय दूबे, शिवेंद्रनाथ दूबे,संदीप दूबे,संजय दूबे, सिद्धांत दूबे, शुभम दूबे, राघवेन्द्र दूबे,दिनेश यादव, प्रेम यादव, अमरनाथ यादव, विकास यादव, पंकज यादव, अभिषेक यादव सहित भारी संख्या में समस्त भक्तगण उपस्थित रहे ।
भागवताचार्य डॉ0 मनमोहन तिवारी जी के फोन पर बातचीत के दौरान उन्होंने आज के अष्टमी के दिन का महत्त्व बताते हुए कहा कि मां आदिशक्ति की उपासना का पावन पर्व यानी नवरात्रि चल रहा है। पूरे देश में धूमधाम के साथ चैत्र नवरात्रि का महापर्व मनाया जा रहा है ।

चैत्र नवरात्रि में दो दिन सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं अष्टमी की तिथि और दूसरी नवमी की तिथि। इसलिए, इन्हें महा अष्टमी और महा नवमी कहते हैं ।

 महा अष्टमी तिथि के दिन नवदुर्गा के 8 वें स्वरूप माता महागौरी की उपासना की जाती है।
9 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा-अर्चना होती है। चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन यानि कि अष्टमी को दुर्गा मां के महागौरी रूप की पूजा की जाती है। इस बार अष्टमी 5 अप्रैल को है ।

 इस दिन भक्त देवी की पूजा के बाद कन्या पूजन भी करते हैं। मां महागौरी परम कल्याणकारी और मंगलकारी हैं। ये ममता की मूरत हैं और भक्तों की सभी जरूरतों को पूरा करने वाली हैं। महागौरी की अराधना करने से पूर्व जन्म के पाप नष्ट होते हैं। इसके साथ ही इस जन्म के दुख, दरिद्रता और कष्ट भी मिट जाते हैं।

*महागौरी अष्टमम्*
माँ दुर्गा का अष्टम स्वरूप महागौरी है, नवरात्रि में आठवें दिन इसी स्वरूप की पूजा की जाती है ।
महागौरी शब्द से स्पष्ट है कि इनका वर्ण अत्यधिक गौरा है, इसलिए इन्हें महागौरी भी कहा गया है,  पुराणों में इन्हें अष्टवर्षा, अर्थात आठसाल आयु वाली देवी की संज्ञा दी गई है , तथा श्वेत वस्त्र और आभूषण धारण करने के कारण इन्हें श्वेताम्बरधरा भी कहते है , इनका वाहन होने से ये वृषारूढ़ा भी कहलाती है । 

माता के इस रूप का दर्शन सुलभ नहीं है, कठिन से कठिन तप से भी इस रूप का दर्शन अप्राप्य माना गया है माता महागौरी की आराधना से भक्तों के सारे कष्ट मिट जाते और सभी सिद्धियाँ हस्तगत हो जाती है ।

अगर आपके मन में बहुत ऐश्वर्य और प्रसिद्धि पाने की इच्छा हो तो आठवें दिन मां महागौरी की आराधना करें। इनकी कृपा से व्यक्ति देखते-देखते मशहूर हो जाता है।
नवरात्रि के मौ दिनों तक माता की पूजा आराधना के बाद माता के श्रद्धालु भक्त अष्टमी एवं नवमी तिथि के दिन 5,7,9,11 या फिर 24 कन्याओं का विधिवत पूजन के बाद उनकों भोजन कराते हैं।
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