38वां मालवा कला समारोह संपन्न: साधना सरगम की स्वरांजलि से गूंजा इंदौर


मालवा रंगमंच समिति मध्य प्रदेश एवं श्रीधि मिल्क के संयुक्त तत्वावधान में 38वें मालवा कला समारोह का भव्य आयोजन इंदौर के रविंद्र नाट्यगृह, रीगल चौराहे पर आयोजित किया गया। इस अवसर पर कला, संस्कृति, संगीत, अध्यात्म, साहित्य और देशभक्ति की अद्भुत समरसता देखने को मिली। यह समारोह तीसरे दशक में प्रवेश कर चुका है और लगातार कला प्रेमियों को समर्पित आयोजन बनता जा रहा है।

विधिक आवाज़ न्यूज़ | इंदौर, 20 अप्रैल 2025

समारोह की मुख्य आकर्षण रही सुप्रसिद्ध पार्श्वगायिका सुश्री साधना सरगम की संगीतमयी संध्या, जिसमें उन्होंने अपने चार दशकों के फिल्मी और भक्ति गीतों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। साधना सरगम की आवाज़ को भारतीय संगीत का 'जीवंत वाद्ययंत्र' कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। उनके सुपरहिट गीतों ने सजीव स्मृतियों को फिर से ताज़ा कर दिया – "जब कोई बात बिगड़ जाए", "तेरे दर पर सनम", "नीले नीले अंबर", "हंसते-हंसते कट जाए रास्ते", और नब्बे के दशक की तमाम मधुर रचनाएं, जो हर दिल में बसती हैं।

मंच पर साधना सरगम की उपस्थिति ने इंदौरवासियों को स्वर और श्रद्धा का अद्भुत अनुभव दिया। उन्हें 'क्वीन ऑफ 90s' कहना गलत नहीं होगा, जिनकी आवाज़ माधुरी दीक्षित, ऐश्वर्या राय, जूही चावला, मीनाक्षी शेषाद्रि और अन्य शीर्ष अभिनेत्रियों की भावनाओं को स्वर देती रही है।

साधना सरगम संगीतकार कल्याणजी-आनंदजी की खोज मानी जाती हैं। कल्याणजी ने उन्हें न केवल संगीत की शिक्षा दी बल्कि उन्हें अपनी पुत्री के समान स्थान दिया। उनकी गायकी में मिश्री जैसी मिठास और हर राग-रंग में दक्षता है।

इस समारोह में कई गणमान्य अतिथि, संगीत प्रेमी, साहित्यकार और कलाकार उपस्थित रहे। सभी ने साधना सरगम के योगदान को भारतीय संगीत की एक अद्भुत विरासत बताया।

कार्यक्रम के अंत में आयोजकों ने उन्हें विशेष सम्मान स्वरूप स्मृति चिन्ह प्रदान कर आभार जताया।

मालवा कला समारोह एक बार फिर साबित कर गया कि इंदौर न केवल व्यापार और शिक्षा का केंद्र है, बल्कि यह कला और संस्कृति का गढ़ भी है।

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