इंदौर, जिसे देश का सबसे स्वच्छ शहर होने का गौरव प्राप्त है, आज अपने एक अभिन्न हिस्से बीआरटीएस (बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) को अलविदा कह रहा है। एक ऐसा सिस्टम, जिसने न सिर्फ लाखों यात्रियों को आरामदायक और सुरक्षित यात्रा दी, बल्कि इंदौर के शहरी परिवहन का एक सुनियोजित मॉडल भी प्रस्तुत किया। लेकिन सवाल उठता है—क्या वाकई बीआरटीएस को खत्म करना जरूरी था?
### बीआरटीएस: एक सफल लेकिन उपेक्षित प्रणाली
2013 में जब इंदौर में बीआरटीएस शुरू हुआ, तो इसे एक क्रांतिकारी कदम माना गया। इसकी लो-फ्लोर बसें, समर्पित लेन और बेहतर ट्रैफिक मैनेजमेंट ने इसे भोपाल, जयपुर और अन्य शहरों से कहीं अधिक सफल बनाया। आंकड़ों के मुताबिक, हर दिन करीब 75,000 लोग बीआरटीएस का उपयोग करते थे, जिनमें महिलाएं, छात्र, वरिष्ठ नागरिक और नौकरीपेशा लोग शामिल थे।
लेकिन दुर्भाग्यवश, इस सफल प्रणाली को 'अव्यवहारिक' करार देते हुए बंद करने का फैसला लिया गया। सवाल यह है कि—क्या यह प्रशासनिक नाकामी थी, या किसी विशेष दबाव के कारण लिया गया निर्णय?
### बीआरटीएस की जगह फ्लाईओवर: कितना तर्कसंगत?
बीआरटीएस को खत्म कर फ्लाईओवर बनाने का निर्णय तर्कसंगत नहीं लगता। क्या इंदौर को वाकई फ्लाईओवर की जरूरत थी, या बसें और रूट बढ़ाकर इस समस्या को हल किया जा सकता था?
अगर भीड़भाड़ की समस्या थी, तो क्यों नहीं बीआरटीएस को विस्तारित किया गया?
महिलाओं और छात्रों की सुरक्षा के मद्देनजर, क्या यह निर्णय सही था?
जब लाखों लोग इसका उपयोग कर रहे थे, तो इसे हटाने के पीछे कौन-से आंकड़े थे?
इन सवालों का जवाब अब तक प्रशासन ने स्पष्ट रूप से नहीं दिया है।
### मीडिया और जनता की चुप्पी क्यों?
सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि—इतने बड़े फैसले पर मीडिया और जनता की आवाज क्यों नहीं उठी?
एक शहर जो स्वच्छता और स्मार्टनेस की मिसाल बन चुका है, वहां एक सफल सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को बंद करने पर चर्चा क्यों नहीं हुई?
क्या यह राजनीतिक दबाव का नतीजा था?
क्या इस फैसले से किसी विशेष वर्ग को फायदा हुआ?
या फिर आम जनता की आवाज को अनसुना कर दिया गया?
### बीआरटीएस को खत्म करना सही था या गलत?
इंदौर के नागरिकों को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। बीआरटीएस को बंद करना महज एक ट्रांसपोर्ट सिस्टम का अंत नहीं, बल्कि स्मार्ट सिटी की योजना में एक बड़ी चूक है।
हमें मेट्रो की उपयोगिता समझ आती है, लेकिन फ्लाईओवर बनाना और बीआरटीएस को खत्म करना एक रणनीतिक भूल हो सकती है। अब समय आ गया है कि इंदौर के नागरिक, नेता, पत्रकार और विशेषज्ञ इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करें।
इंदौर को क्या चाहिए?
➡ बेहतर सार्वजनिक परिवहन प्रणाली
➡ बीआरटीएस का दोबारा विस्तार
➡ यातायात प्रबंधन में स्मार्ट समाधान
➡ जनता की राय को महत्व
अगर अब भी हमने सवाल नहीं उठाए, तो आने वाले समय में इंदौर के विकास के नाम पर और कितने अच्छे सिस्टम खत्म कर दिए जाएंगे, इसका अंदाजा भी मुश्किल होगा।