पूर्व कलेक्टर मनोज श्रीवास्तव का कड़ा संदेश: दंगाइयों से छीनी जाएं सभी सरकारी सुविधाएं, राज्य दिखाए कठोरता


इंदौर के पूर्व कलेक्टर मनोज श्रीवास्तव ने दंगाइयों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग करते हुए एक तीखा संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि दंगाइयों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को महज एक विभागीय कार्य नहीं माना जाना चाहिए, बल्कि इसे राज्य के खिलाफ चुनौती के रूप में देखा जाना चाहिए। श्रीवास्तव ने मांग की कि दंगाइयों से राज्य द्वारा प्रदत्त सभी सुविधाएं और स्वीकृतियां वापस ली जानी चाहिए।

विधिक आवाज समाचार|इंदौर
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पूर्व कलेक्टर श्रीवास्तव के संदेश के मुख्य अंश:

दंगाइयों को मिले लाइसेंस रद्द हों:

दंगा करने वालों के आर्म्स लाइसेंस, फूड लाइसेंस, मंडी लाइसेंस और राशन कार्ड रद्द किए जाएं।
उनके ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन स्वामित्व भी निरस्त किए जाएं।
खनिज लाइसेंस और कॉलोनाइजर लाइसेंस भी रद्द किए जाएं।

अतिक्रमण पर कार्रवाई:

दंगाइयों के अतिक्रमणों को हटाया जाए और नियमितीकरण के लिए दिए गए पट्टे रद्द किए जाएं।

अन्य सुविधाएं छीनी जाएं:

दंगाइयों को दी गई विद्युत सुविधा समाप्त की जाए।
उन्हें उच्चतर शिक्षा के लिए अपात्र घोषित किया जाए।
उन्हें निर्वाचन अधिकार से वंचित किया जाए।

राज्य दिखाए कठोरता:

श्रीवास्तव ने राज्य से दंगाइयों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की मांग की है।
दंगाइयों को अदालतों का भय नहीं है इसलिए राज्य कठोर कदम उठाए।

दंगो को हल्के में न ले राज्य:

दंगो को केवल विभागीय कार्य न समझे राज्य।
श्रीवास्तव का तर्क:

श्रीवास्तव का तर्क है कि जब दंगाई राज्य को चुनौती दे रहे हैं, तो उन्हें राज्य द्वारा दी गई किसी भी सुविधा का लाभ उठाने का अधिकार नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि दंगाइयों को यह संदेश दिया जाना चाहिए कि उनके हिंसक कृत्यों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

प्रतिक्रिया:

श्रीवास्तव के इस संदेश ने विभिन्न हलकों में बहस छेड़ दी है। कुछ लोग उनके विचारों का समर्थन कर रहे हैं, जबकि अन्य का मानना है कि यह कार्रवाई बहुत कठोर होगी।

यह खबर दंगाइयों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग को उजागर करती है और इस मुद्दे पर चल रही बहस को दर्शाती है।



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