रमजान का महीना इस्लामिक कैलेंडर का एक बेहद पवित्र और महत्वपूर्ण समय होता है। इस महीने में हर मुस्लिम रोजा रखने, पांच वक्त की नमाज अदा करने और अपनी आत्मा को पवित्र करने की कोशिश करता है। रमजान की शुरुआत 1 मार्च को चांद के दिखाई देने के साथ हुई थी, और पहले रोजे का पालन 2 मार्च को किया गया। अब मुस्लिम समाज रमजान के आखिरी पड़ाव की ओर बढ़ रहा है, जहां हर उम्र, वर्ग और पेशे के लोग अल्लाह की इबादत में व्यस्त हैं, खासकर भीषण गर्मी में रोजा रखकर अपनी पूजा में संलग्न हैं।
विधिक आवाज समाचार | मंदसौर
✍️✍️✍️ मुबारिक हुसैन मंसुरी जिला ब्यूरो चीफ, मन्दसौर
आखिरी अशरा और उसकी अहमियत
रमजान का महीना तीन अशरों (दस दिनों) में बांटा गया है, और हर अशरे की अपनी विशेषता और महत्व है। पहले अशरे को रहमत का अशरा, दूसरे को बरकत का अशरा, और तीसरे अशरे को जहन्नुम से आज़ादी का अशरा कहा जाता है। इनमें आखिरी अशरा सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसी समय में शब-ए-कद्र (लैलतुल क़द्र) की रात आती है, जो पवित्र कुरान के नाज़िल होने की रात मानी जाती है।
लैलतुल क़द्र की रात को कुरान में हजार महीनों से भी बेहतर बताया गया है। यह रात पूरी तरह से शांति और सलामती से भरपूर होती है, और इसमें फरिश्ते अपने रब की अनुमति से दुनिया के हर महत्वपूर्ण काम के लिए उतरते हैं। इस रात को पाने की कोशिश रमजान के आखिरी अशरे में की जाती है, जो 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं और 29वीं रातों में से एक हो सकती है। इन रातों में इबादत करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
ऐतकाफ: एक विशेष इबादत
रमजान के अंतिम दिनों में मुस्लिम समाज अपने रब को खुश करने के लिए ऐतकाफ करता है, जो एक विशेष इबादत है। इसमें व्यक्ति दुनियावी कामों से दूर होकर पूरी रात मस्जिद में बैठकर इबादत करता है। नबी पैगंबर हज़रत मुहम्मद ﷺ भी अपने जीवन के आखिरी दिनों तक रमज़ान के अंतिम अशरे में ऐतकाफ किया करते थे। इस समय मस्जिदों को विशेष सजावट के साथ तैयार किया जाता है, और पूरी रात लोग इबादत में व्यस्त रहते हैं।
ईद की तैयारी और बाजार की हलचल
रमजान के अंतिम दिनों में ईद की तैयारी तेज हो गई है। बाजारों में खासकर रेडीमेड कपड़े, जूते-चप्पल, श्रृंगार सामग्री, और किराना सामान की बिक्री बढ़ गई है। महिलाएं, बच्चे और युवा ईद के लिए नए कपड़े खरीदने के लिए बाजारों में जुटे हुए हैं। इस बार खासकर परंपरागत लिबाज़ जैसे कुर्ता-पजामा का चलन अधिक देखा गया है। रेडीमेड कुर्ते और कुर्ता-पजामा सिलवाने के लिए टेलर्स के यहां भी काफी भीड़ है।
ईद से पहले रमजान के अंतिम शुक्रवार को नगर की सभी मस्जिदों में अलविदा माहे रमजान का विशेष ख़ुत्बा और नमाज अदा की जाएगी। इसके बाद चांद दिखाई देने पर ईद का त्योहार मनाया जाएगा, और इस दिन विशेष नमाज अदा की जाएगी।
समाज का धैर्य और समर्पण
रमजान का महीना सिर्फ रोजा रखने और नमाज अदा करने तक सीमित नहीं होता। यह एक समय होता है जब मुस्लिम समाज अपनी आत्मा को शुद्ध करने के साथ-साथ एक दूसरे के साथ मिलकर समाज में शांति और भाईचारे का संदेश देता है। रमजान के अंतिम दिनों में जब लोग अपने परिवार और समुदाय के साथ ईद मनाते हैं, तो यह उनके लिए एक आंतरिक शांति और संतोष का समय होता है।
इस प्रकार, रमजान का महीना न केवल आत्मनिर्भरता और तात्कालिक इबादत का समय होता है, बल्कि यह एक ऐसा समय होता है जो समाज को एकजुट करने और व्यक्ति के अंदर की अच्छाईयों को जगाने का काम करता है।
✍️✍️पोस्ट बाय मुबारक हुसैन मंसूरी ब्यूरो चीफ
मदसौर