"सच की कीमत: पत्रकार राघवेंद्र वाजपेयी को गोलियों से भूना, भ्रष्टाचारियों की कायराना साजिश!"


पत्रकारिता का काला दिन : सच की कलम पर चली गोलियां, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले राघवेंद्र वाजपेयी का बलिदान

विधिक आवाज समाचार| सीतापुर | महोली |8 मार्च 2025

राघवेंद्र वाजपेयी... नाम था उस कलम के सिपाही का, जो सत्ता की दलाली करने वालों के लिए मौत का फरमान लिख रहा था। महोली तहसील के दैनिक जागरण प्रभारी राघवेंद्र वाजपेयी को कायरों ने गोलियों से भून दिया। ये गोली किसी इंसान पर नहीं, बल्कि सच की आवाज पर चलाई गई है।

भ्रष्टाचारियों के गले की फांस बने थे राघवेंद्र

धान क्रय केंद्र पर हो रही गड़बड़ियों की कलई खोलने वाले राघवेंद्र ने हाल ही में स्टांप ड्यूटी चोरी के बड़े खेल को उजागर किया था। खबरें छपते ही अफसरों की कुर्सियां डोलने लगी थीं। कई भूमाफियाओं पर गाज गिर चुकी थी। लेकिन राघवेंद्र की कलम से तिलमिलाए कायरों ने गोली से साजिश रच दी।

योगी सरकार को खुली चुनौती!

प्रदेश में जब योगी सरकार अपराधियों पर कहर बनकर टूट रही है, ऐसे में दिनदहाड़े पत्रकार की हत्या भ्रष्टाचारियों की सरकार को खुली चुनौती है।
अब देखना है कि योगी सरकार इन कायरों को बुलडोजर का स्वाद चखाती है या नहीं।

परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

राघवेंद्र के बलिदान से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उनके छोटे-छोटे बच्चों की आंखों में अब्बा के लौटने की आस अभी भी जिंदा है। पत्नी सदमे में हैं। घर का माहौल ऐसा कि पत्थर भी रो पड़े।

क्या ऐसे ही मरते रहेंगे कलम के सिपाही?

अब सवाल उठता है कि क्या सच की आवाज उठाने वाले इसी तरह गोलियों का शिकार होते रहेंगे?
पत्रकारिता का गला घोंटने की ये कोशिश कब तक चलेगी?

विधिक आवाज मांग करता है :

✅ आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट लगे
✅ परिवार को 50 लाख का मुआवजा मिले
✅ बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी सरकार उठाए
✅ दोषियों पर बुलडोजर की कार्रवाई हो

राघवेंद्र मरे नहीं हैं...
उनकी कलम की स्याही अब विधिक आवाज़ के पन्नों पर बहेगी।

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