सिंगरौली का मोरवा होगा इतिहास, कोयला खनन के लिए उजड़ेगा पूरा शहर

Photo : काल्पनिक सिर्फ खबर को समझने के लिए 

मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले का मोरवा शहर जल्द ही पूरी तरह से अस्तित्व खोने वाला है। कोयला खनन के लिए इस पूरे क्षेत्र को खाली कराया जा रहा है, जिससे 22,000 से अधिक मकान और बिल्डिंगें जमींदोज कर दी जाएंगी। यह विस्थापन एशिया में नगरीय क्षेत्र का सबसे बड़ा विस्थापन बताया जा रहा है।

विधिक आवाज़ समाचार | सिंगरौली, मध्य प्रदेश | 
Vishwamitra Agnihotri ✍️✍️✍️

कोयला खनन के लिए शहर को हटाने का फैसला मोरवा क्षेत्र कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) की सहायक कंपनी नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (NCL) के अंतर्गत आता है। यहां जमीन के नीचे सैकड़ों मिलियन टन कोयला दबा पड़ा है, जिसे निकालने के लिए पूरे शहर को हटाने का निर्णय लिया गया है।

मोरवा: आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र
मोरवा सिंगरौली जिले का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।यहां रेलवे स्टेशन, बाजार और कई सरकारी-गैरसरकारी संस्थान हैं।

यह भारत के प्रमुख कोयला उत्पादन क्षेत्रों में से एक है।
यहां एनटीपीसी (NTPC), रिलायंस पावर, एस्सार पावर जैसी कंपनियां कार्यरत हैं।

22 हजार परिवारों का होगा पुनर्वास

विस्थापन के कारण 22,000 से अधिक परिवारों को हटाया जाएगा। सरकार और कोल इंडिया की ओर से पुनर्वास योजना तैयार की जा रही है, लेकिन स्थानीय लोगों में असंतोष और चिंता बनी हुई है।

स्थानीय लोगों की चिंता और विरोध

कई दशकों से बसे लोग अपने घरों और जमीनों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं।

पुनर्वास की उचित योजना और मुआवजे को लेकर असमंजस की स्थिति है।

कई परिवारों का कहना है कि उन्हें पर्याप्त मुआवजा और वैकल्पिक आवास मिलना चाहिए।

सरकार की योजना और अगला कदम

सरकार और कोल इंडिया के अधिकारी स्थानीय लोगों से बातचीत कर रहे हैं।

विस्थापन के बदले उचित मुआवजा और पुनर्वास का वादा किया गया है।

जल्द ही प्रभावित लोगों को अन्य क्षेत्रों में बसाने की प्रक्रिया शुरू होगी।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए जरूरी है। सिंगरौली को "ऊर्जा राजधानी" कहा जाता है, क्योंकि यहां से पूरे देश को बिजली मिलती है।

हालांकि, स्थानीय लोगों के पुनर्वास और उनके अधिकारों की सुरक्षा सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह विस्थापन स्थानीय निवासियों के लिए कितना फायदेमंद साबित होता है या उन्हें मुश्किलों में डालता है।


(विश्वामित्र अग्निहोत्री , विधिक आवाज़ समाचार )
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