भोपाल गैस त्रासदी के बाद वर्षों से जमा जहरीले कचरे को नष्ट करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। पीथमपुर में सोमवार शाम को यूनियन कार्बाइड के केमिकल वेस्ट को जलाने का पहला ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा किया गया। इस प्रक्रिया में लगभग 77 घंटे तक लगातार कचरा जलाया गया।
40 साल बाद समाधान या नई मुसीबत? भोपाल के रासायनिक कचरे को जलाने की प्रक्रिया पूरी, जानिए इसके असर और भविष्य की योजना।
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पोस्ट बाय : विश्वामित्र अग्निहोत्री
भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड के प्लांट में 1984 में हुई त्रासदी के बाद से वहां जमा रासायनिक कचरा पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बना हुआ था। इसे नष्ट करने के लिए कई सालों से प्रयास किए जा रहे थे, लेकिन तकनीकी और कानूनी अड़चनों के कारण यह संभव नहीं हो सका। अब इस दिशा में पीथमपुर में हुए इस सफल ट्रायल से उम्मीदें बढ़ी हैं।
कैसे किया गया कचरे का निस्तारण?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ट्रायल में कचरे को इंसिनरेशन टेक्नोलॉजी (Incineration Technology) के जरिए जलाया गया। इस दौरान यह सुनिश्चित किया गया कि जलने की प्रक्रिया से कोई हानिकारक गैस या प्रदूषण न फैले। प्रयोग सफल होने के बाद अब इस पद्धति से बचे हुए कचरे का भी निस्तारण किया जाएगा।
आगे की योजना क्या होगी :
इस सफल परीक्षण के बाद विशेषज्ञों और अधिकारियों की टीम अब इस प्रक्रिया का विस्तृत विश्लेषण करेगी। यदि यह पूरी तरह से सुरक्षित पाया जाता है, तो बड़े पैमाने पर यूनियन कार्बाइड के बाकी रासायनिक कचरे को भी इसी तरह नष्ट किया जाएगा।
हालांकि, पर्यावरणविदों और स्थानीय संगठनों ने इस पर सवाल भी उठाए हैं। उनका कहना है कि बिना पर्याप्त अध्ययन के इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाना पर्यावरण और आसपास के लोगों के लिए जोखिम भरा हो सकता है। सरकार और प्रशासन का कहना है कि हर सुरक्षा मानक को ध्यान में रखकर ही यह प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
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