इंदौर नगर निगम की मनमानी, स्क्रैप व्यापारी से जबरन ₹35,000 का सामान जब्त कागज के गत्ते को रखना बताया अवैध ।


इंदौर नगर निगम की कार्रवाई एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। मुशाखेड़ी मैन रोड पुलिया के पास स्थित शाबिद स्क्रैप की दुकान पर नगर निगम की टीम ने अचानक छापा मारा और वहां से करीब ₹35,000 मूल्य का स्क्रैप (प्लास्टिक की बोतलें और गत्ते) जब्त कर लिया।

विधिक आवाज़ समाचार समूह | इंदौर
सह संपादक विश्वामित्र अग्निहोत्री की रिपोर्ट 

व्यापारी का आरोप: जबरन कार्रवाई, धमकी और भेदभाव 

पीड़ित व्यापारी का कहना है कि नगर निगम की यह कार्रवाई पूरी तरह अवैध और मनमानी है। निगम के अधिकारियों ने बिना किसी पूर्व सूचना या वैध दस्तावेज के दुकान में जबरन घुसकर सामान उठाया और कार्रवाई की। जब व्यापारी और स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया, तो निगम कर्मचारियों ने धमकी भरे लहजे में जवाब दिया और किसी भी तरह की सुनवाई से इनकार कर दिया।


व्यापारी का कहना है कि वह सरकारी नियमों के तहत स्क्रैप का व्यापार कर रहा है, समय-समय पर सभी आवश्यक टैक्स का भुगतान करता है और उसके पास सभी वैध दस्तावेज भी हैं। इसके बावजूद नगर निगम द्वारा इस तरह की जबरदस्ती की जा रही है।

नगर निगम का दावा: स्क्रैप रखना अवैध, व्यापारी बोले- कानूनन कोई रोक नहीं

नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि प्लास्टिक की बोतलें और गत्तों को रखना अवैध है और इसका व्यापार केवल नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में आता है। लेकिन व्यापारी का कहना है कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो स्क्रैप व्यापार को अवैध ठहराता हो।

पीड़ित का आरोप है कि यह पहली बार नहीं हुआ है, बल्कि हर बार केवल इसी दुकान को निशाना बनाया जाता है, जबकि अन्य स्क्रैप व्यापारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती।


व्यापारी ने प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की
पीड़ित व्यापारी ने इस मामले को लेकर नगर निगम आयुक्त और पुलिस प्रशासन से शिकायत दर्ज कराई है और निष्पक्ष जांच की मांग की है।

क्या बोले स्थानीय लोग?

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि नगर निगम की इस कार्रवाई में पक्षपात साफ झलक रहा है। जब पूरे शहर में स्क्रैप का व्यापार चल रहा है, तो केवल एक ही दुकान को बार-बार निशाना क्यों बनाया जा रहा है?

व्यापारी की मांग:

नगर निगम की इस अवैध कार्रवाई की निष्पक्ष जांच हो।
जबरदस्ती ले जाया गया ₹40,000 का सामान वापस दिलाया जाए।

दोषी कर्मचारियों पर उचित कार्रवाई हो।

भविष्य में ऐसी अन्यायपूर्ण कार्रवाई रोकी जाए।
अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है या फिर व्यापारी को न्याय के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ेगी।




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