15 करोड़ रुपये के फर्जी बैंक गारंटी घोटाले में बड़ा खुलासा हुआ है। इस मामले में जिला आबकारी अधिकारी सहित सात लोगों पर मामला दर्ज किया गया है। सभी आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) और भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2018 की धारा 7 (सी) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
कौन-कौन हैं आरोपी?
एफआईआर में सात आरोपियों के नाम शामिल हैं, जिनमें सरकारी अधिकारी से लेकर शराब ठेकेदार तक शामिल हैं:
- नागेन्द्र सिंह – तत्कालीन प्रभारी शाखा प्रबंधक, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित, शाखा मोरबा, जिला सिंगरौली
- नृपेन्द्र सिंह – प्रोपाइटर, मेसर्स माँ लक्ष्मी इंटरप्राइजेज, वैकुण्ठपुर, हनुमना, नईगढ़ी, देवतालाब शराब दुकान समूह
- अजीत सिंह – प्रोपाइटर, मेसर्स आशा एंटरप्राइजेज, इटौरा शराब दुकान समूह
- उपेन्द्र सिंह बघेल – मउगंज शराब दुकान समूह
- आदित्य प्रताप सिंह – रायपुर कर्चुलियान शराब दुकान समूह
- विजय बहादुर सिंह – प्रोपाइटर, मे. आर्या ग्रुप, समान नाका शराब दुकान समूह
- अनिल जैन – जिला आबकारी अधिकारी, जिला रीवा
क्या है पूरा मामला?
जांच में सामने आया है कि इन आरोपियों ने फर्जी बैंक गारंटी बनाकर 15 करोड़ रुपये का घोटाला किया। इस मामले में सरकारी अधिकारी और शराब व्यवसायियों की मिलीभगत उजागर हुई है। आरोप है कि बैंक गारंटी में हेरफेर कर लाइसेंस जारी करवाए गए और सरकारी राजस्व को भारी नुकसान पहुंचाया गया।
जांच जारी, हो सकती हैं और गिरफ्तारियां
जांच एजेंसियां इस मामले में गहराई से जांच कर रही हैं। सूत्रों के अनुसार, इसमें और भी कई बड़े नाम शामिल हो सकते हैं और जल्द ही नई गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
क्या कहती है कानून व्यवस्था?
अधिकारियों का कहना है कि यह एक बड़ा संगठित भ्रष्टाचार मामला है, जिसमें जल्द ही कठोर कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन का दावा है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और सरकारी धन के दुरुपयोग पर सख्त कार्रवाई होगी।
यह घोटाला सरकार के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस पर क्या ठोस कदम उठाता है और किस-किस की संलिप्तता उजागर होती है।
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