राष्ट्रपति ट्रंप का बड़ा फैसला: बाइडेन प्रशासन के सभी अमेरिकी अटॉर्नी बर्खास्त
वाशिंगटन, डी.सी. – अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बाइडेन प्रशासन के तहत नियुक्त सभी अमेरिकी अटॉर्नियों को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करने का आदेश दिया है। ट्रंप ने इस निर्णय की घोषणा अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर की, जिसमें उन्होंने कहा कि पिछले चार वर्षों में न्याय विभाग का जिस तरह से राजनीतिकरण किया गया है, वह अस्वीकार्य है।
न्याय विभाग में 'सफाई अभियान'
ट्रंप ने अपने पोस्ट में लिखा, "हमें न्याय प्रणाली में जनता का विश्वास बहाल करना होगा। अमेरिका का स्वर्णिम युग तभी संभव है जब न्याय व्यवस्था निष्पक्ष हो। यह सफाई अभियान आज से शुरू होता है।" उन्होंने आरोप लगाया कि बाइडेन प्रशासन ने न्याय विभाग को अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए इस्तेमाल किया, और अब इसे पूरी तरह से बदलने की जरूरत है।
सभी अटॉर्नियों को हटाने का आदेश
व्हाइट हाउस और न्याय विभाग के सूत्रों के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन ने लगभग 20 वरिष्ठ अमेरिकी अटॉर्नियों को बर्खास्तगी नोटिस भेजे हैं। इन नोटिसों में स्पष्ट रूप से कहा गया कि वे तत्काल प्रभाव से अपने पद छोड़ दें। रिपोर्ट्स के अनुसार, इन अटॉर्नियों को सरकारी सिस्टम तक पहुंच भी तुरंत रोक दी गई, जिससे वे आधिकारिक कार्यवाही पूरी नहीं कर सके।
राजनीतिक हलकों में हलचल
इस फैसले के बाद अमेरिकी राजनीति में हलचल मच गई है। कुछ कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन का यह कदम न्याय विभाग को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश हो सकता है। वहीं, ट्रंप समर्थकों का कहना है कि यह फैसला आवश्यक था ताकि न्यायिक प्रणाली में निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।
ट्रंप प्रशासन का उद्देश्य
रिपब्लिकन रणनीतिकारों का कहना है कि ट्रंप इस कदम के जरिए अपने प्रशासन को मजबूत कर रहे हैं और न्याय विभाग में ऐसे लोगों को लाना चाहते हैं जो उनकी नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करें।
आगे क्या?
अब सवाल यह है कि ट्रंप किन नए अटॉर्नियों की नियुक्ति करेंगे और उनका झुकाव किस ओर होगा। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर कांग्रेस और सीनेट में बहस देखने को मिल सकती है। विपक्षी डेमोक्रेट्स ने इस कदम को सत्ता का दुरुपयोग करार दिया है और इसे चुनौती देने की बात कही है।
ट्रंप के इस फैसले का अमेरिका की न्यायिक प्रणाली पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह आने वाले हफ्तों में साफ होगा, लेकिन फिलहाल यह मुद्दा अमेरिकी राजनीति में चर्चा का केंद्र बन गया है।
✍️✍️पोस्ट बाय विश्वामित्र अग्निहोत्री संपादक✍️✍️

