हरियाणा के गांव से दिल्ली की सत्ता तक: जानें रेखा गुप्ता का सियासी सफर


डीयू की अध्यक्ष से दिल्ली की मुख्यमंत्री तक, रेखा गुप्ता की राजनीति में धमाकेदार एंट्री

विधिक आवाज|राजेश यादव 

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 27 साल बाद दिल्ली में सत्ता हासिल कर ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। चुनाव परिणाम आने के 11 दिन बाद पार्टी ने मुख्यमंत्री के चेहरे का ऐलान कर दिया है। दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता होंगी, जो कल रामलीला मैदान में शपथ लेंगी। रेखा गुप्ता का नाम शुरुआत से ही संभावित दावेदारों में सबसे आगे था। संघ की स्वीकृति और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की पसंद बनने के बाद उन्होंने यह बड़ी जिम्मेदारी हासिल की। लेकिन उनका यह सफर आसान नहीं था। आइए जानते हैं, हरियाणा के एक छोटे से गांव से निकलकर दिल्ली की सत्ता तक का उनका सफर।

हरियाणा में जन्म, दिल्ली में राजनीति की शुरुआत
रेखा गुप्ता का जन्म 1974 में हरियाणा के जींद जिले के नंदगढ़ गांव में हुआ। उनके पिता भारतीय स्टेट बैंक में अधिकारी थे। 1976 में उनका परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया, जहां उनकी प्रारंभिक से लेकर उच्च शिक्षा पूरी हुई।

राजनीति में एंट्री और छात्रसंघ अध्यक्ष बनने तक का सफर

रेखा गुप्ता ने पढ़ाई के दौरान ही राजनीति से जुड़ाव बना लिया था। उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़कर सक्रिय राजनीति की शुरुआत की। दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के दौलत राम कॉलेज में सचिव चुनी गईं और फिर 1995-96 में डीयू छात्रसंघ (DUSU) की अध्यक्ष बनीं। इसके बाद उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई पूरी की और राजनीति में आगे बढ़ीं।

स्थानीय राजनीति से लेकर भाजपा की राष्ट्रीय पहचान तक

2003-04 में भाजपा युवा मोर्चा की दिल्ली इकाई की सचिव बनीं और फिर 2004-06 में भाजपा युवा मोर्चा की राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी संभाली।

पार्षद से लेकर विधानसभा चुनाव तक
2007: उत्तरी पीतमपुरा से पार्षद चुनी गईं।
2007-09: एमसीडी में महिला कल्याण एवं बाल विकास समिति की अध्यक्ष बनीं।
2010: भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य बनीं।
2012: दोबारा उत्तरी पीतमपुरा से पार्षद चुनी गईं।
विधानसभा चुनावों में हार और 2025 में ऐतिहासिक जीत
रेखा गुप्ता ने 2015 और 2020 में शालीमार बाग विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें आम आदमी पार्टी की वंदना कुमारी के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा। 2015 में वह 11,000 वोटों से और 2020 में 3,400 वोटों से चुनाव हारीं। लेकिन 2025 में उन्होंने जबरदस्त वापसी करते हुए AAP प्रत्याशी को 29,595 वोटों से हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की।

व्यक्तिगत जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
1998 में उनकी शादी मनीष गुप्ता से हुई। उनके पति एक लाइफ इंश्योरेंस कंपनी में काम करते हैं और स्पेयर पार्ट्स का कारोबार भी संभालते हैं।

अब नई दिल्ली, नई उम्मीदें!

दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने जा रहीं रेखा गुप्ता के सामने अब कई चुनौतियां होंगी, लेकिन जिस तरह उन्होंने संघर्ष कर यह मुकाम हासिल किया है, उससे उनके समर्थकों को पूरी उम्मीद है कि वह दिल्ली की राजनीति में नया इतिहास रचेंगी।


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