- "35 साल पुरानी प्रॉपर्टी पर भूमाफिया की नजर, डर के साए में जी रहा परिवार।"
- "इंदौर में भूमाफियाओं का आतंक, प्रशासन की निष्क्रियता सवालों के घेरे में।"
- "‘मैं किसी कोर्ट को नहीं मानता’ – भूमाफिया का प्रशासन को खुला चैलेंज।"
विधिक आवाज समाचार, इंदौर से पत्रकार खुशबू श्रीवास्तव की विशेष रिपोर्ट।
इंदौर में भूमाफियाओं के बढ़ते मामलों के बीच एक और गंभीर घटना सामने आई है। स्कीम नंबर 78, विजय नगर, 368 स्लाइस नंबर AS 4, सेक्टर A, अरण्य नगर में रहने वाली वर्षा शिंदे और उनके पति दीपक शिंदे विगत 35 वर्षों से 12x32 वर्गफुट के मकान में रह रहे हैं।
हालांकि, पिछले दो वर्षों से मनीष कनरिया नामक व्यक्ति, जो विजय नगर के निवासी हैं, शिंदे परिवार को परेशान कर रहा है। मनीष ने शिंदे दंपति से मकान खाली करने की धमकी दी और कहा कि यदि मकान खाली नहीं किया गया, तो वह बुलडोजर चलवा देगा।
जब वर्षा शिंदे ने इसका विरोध किया, तो आरोपी मनीष कनरिया ने कथित रूप से कुछ नकली पुलिसकर्मियों को बुलाकर उन्हें डराने का प्रयास किया।
इस घटना से भयभीत शिंदे परिवार ने लसूड़िया थाने में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की। लेकिन थाना प्रभारी ने स्पष्ट किया कि उनके थाने से कोई भी पुलिसकर्मी मकान खाली कराने के लिए नहीं गया था।
मनीष कनरिया की धमकियों और उत्पीड़न से शिंदे परिवार इतना डरा हुआ है कि उन्होंने अपनी बेटी को स्कूल भेजना बंद कर दिया है। उन्होंने अपने पक्ष में सीसीटीवी फुटेज भी प्रशासन और मीडिया को सौंपे हैं।
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आरोपी की गुंडागर्दी
मनीष कनरिया का कहना है कि वह किसी भी कोर्ट या सरकारी दस्तावेज को नहीं मानता। यह बयान प्रशासन और न्याय व्यवस्था को खुली चुनौती देता है।
प्रशासन की जिम्मेदारी पर सवाल
मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार होने के बावजूद भूमाफियाओं और गुंडों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का अभाव चिंताजनक है। सवाल यह है कि क्या प्रशासन शिंदे परिवार को न्याय दिलाने और मनीष कनरिया जैसे आरोपियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने में सक्षम है?
निष्कर्ष
शिंदे परिवार का मामला इंदौर में भूमाफियाओं के बढ़ते आतंक और प्रशासन की निष्क्रियता का गंभीर उदाहरण है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पुलिस और प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं।
विधिक आवाज समाचार, इंदौर से पत्रकार खुशबू श्रीवास्तव की विशेष रिपोर्ट।
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