इंदौर के अस्पतालों में एक अटेंडर की अनुमति, सुरक्षा के लिए कड़े प्रबंध


इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा जारी किए गए नए आदेश 

विधिक आवाज समाचार समूह: इंदौर 
पोस्ट बाय विश्वामित्र अग्निहोत्री ✍️✍️

इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा जारी किए गए नए आदेश के तहत शहर के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में मरीजों के साथ उनके परिजनों की उपस्थिति और अस्पताल परिसर में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर महत्वपूर्ण निर्देश दिए गए हैं। इस आदेश का उद्देश्य अस्पतालों में भीड़ और अव्यवस्था को नियंत्रित करना, मरीजों को बेहतर देखभाल का माहौल प्रदान करना और सुरक्षा के मानकों को सुनिश्चित करना है।

अस्पतालों में अटेंडर के लिए नए दिशा-निर्देश:

कलेक्टर द्वारा जारी आदेश के अनुसार, अब इंदौर के सभी अस्पतालों में रात के समय मरीज के साथ केवल एक ही अटेंडर को रुकने की अनुमति होगी। यह कदम अस्पतालों में अनावश्यक भीड़ को कम करने के लिए उठाया गया है, ताकि मरीजों के इलाज में किसी प्रकार की असुविधा न हो और स्वास्थ्यकर्मियों को बेहतर ढंग से काम करने का अवसर मिले।

हालांकि, कुछ विशेष स्थितियों में इस नियम में छूट दी गई है। यदि मरीज बुजुर्ग है, बहुत छोटा बच्चा है, या महिला अटेंडर है, तो ऐसे मामलों में दो परिजनों को रात में अस्पताल में रुकने की अनुमति होगी। यह छूट इसलिए दी गई है ताकि विशेष देखभाल की आवश्यकता वाले मरीजों को ठीक से ध्यान मिल सके और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

सुरक्षा उपायों को बढ़ावा:

अस्पतालों की सुरक्षा को और अधिक सख्त बनाने के लिए, आदेश में सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में सीसीटीवी कैमरे लगाने को अनिवार्य कर दिया गया है। विशेष रूप से, अस्पताल परिसरों के ब्लैक स्पॉट्स यानी जहां कम रोशनी होती है या जिन्हें सुरक्षा के नजरिए से संवेदनशील माना जाता है, उन जगहों पर सीसीटीवी कैमरों की सतत निगरानी की जाएगी। इससे अस्पताल परिसर में होने वाली किसी भी आपराधिक गतिविधि पर कड़ी नजर रखी जा सकेगी और सुरक्षा की स्थिति को मजबूत किया जा सकेगा।

कंट्रोल रूम की स्थापना:

इसके साथ ही सभी अस्पतालों में एक सुरक्षा नियंत्रण कक्ष (कंट्रोल रूम) स्थापित किया जाएगा, जो सुरक्षा संबंधी व्यवस्थाओं की निगरानी करेगा। कंट्रोल रूम में इमरजेंसी कॉल उपकरण की भी स्थापना की जाएगी, जिससे किसी भी आकस्मिक घटना या आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई की जा सके। यह प्रणाली मरीजों और उनके परिजनों के साथ-साथ अस्पताल के स्टाफ की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।

ब्रीथ एनालाइजर से जांच:

रात 8 बजे के बाद किसी भी अस्पताल में प्रवेश करने वाले व्यक्ति की ब्रीथ-एनालाइजर (श्वास परीक्षण यंत्र) के माध्यम से जांच की जाएगी। यह कदम अस्पताल परिसर में नशे की स्थिति में प्रवेश को रोकने के लिए उठाया गया है। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि नशे में धुत व्यक्ति अस्पताल में कोई असुविधा या सुरक्षा समस्या पैदा न करे।

नए दिशा-निर्देशों का महत्व:

यह आदेश अस्पतालों में सुरक्षा और व्यवस्था को सुधारने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। मरीजों और उनके परिजनों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह सुनिश्चित किया गया है कि अस्पताल में गैर-जरूरी लोगों की भीड़ न हो और केवल आवश्यक व्यक्ति ही वहां उपस्थित हों। इससे न केवल मरीजों की देखभाल में सुधार होगा, बल्कि अस्पताल प्रशासन को भी सुचारू रूप से काम करने में मदद मिलेगी।

सीसीटीवी कैमरों की स्थापना और कंट्रोल रूम का सेटअप अस्पतालों की सुरक्षा को और मजबूत करेगा। नशे की जांच के उपायों से अस्पताल परिसर को सुरक्षित और शांति पूर्ण बनाए रखने में मदद मिलेगी।

समाज के लिए संदेश:

कलेक्टर द्वारा जारी यह आदेश शहरवासियों के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि अस्पतालों में केवल जरूरतमंदों को ही प्रवेश मिलेगा और व्यवस्था को सख्ती से लागू किया जाएगा। साथ ही, मरीजों के प्रति अधिक संवेदनशीलता और सुरक्षा का ध्यान रखा जाएगा। प्रशासन द्वारा किए गए यह उपाय इंदौर को एक बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं वाला शहर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।

निष्कर्ष:

इंदौर कलेक्टर द्वारा जारी यह आदेश न केवल सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह अस्पतालों की कार्यक्षमता को बेहतर बनाने और मरीजों को सही देखभाल का वातावरण प्रदान करने के लिए भी जरूरी है। सीसीटीवी, कंट्रोल रूम और ब्रीथ एनालाइजर जैसी व्यवस्थाओं से यह सुनिश्चित होगा कि अस्पतालों में अनुशासन और सुरक्षा बनी रहे, और मरीजों के परिजन नियमों का पालन करते हुए अपने प्रियजनों की देखभाल में सहभागी बन सकें।

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