हालांकि, पुलिस थानों में वीडियो बनाने की अनुमति विशेष मामलों में मिल सकती है, जैसे कि अगर कानूनी तौर पर किसी जांच या कार्यवाही के लिए इसकी आवश्यकता हो। लेकिन इसके लिए संबंधित अधिकारियों से अनुमति लेना आवश्यक होता है।
हालांकि, अलग-अलग राज्यों में इस पर नियम और कानून थोड़े अलग हो सकते हैं। बिना अनुमति के थाने में रिकॉर्डिंग करना पुलिस अधिकारियों की आपत्ति का कारण बन सकता है और इसके परिणामस्वरूप कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
किसी भी स्थिति में, बिना अनुमति के पुलिस थाने के अंदर वीडियो बनाना कानून का उल्लंघन माना जा सकता है, और इसके लिए आपको कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
हाँ, अगर पुलिस थाने में आपकी शिकायत पर उचित कार्रवाई नहीं हो रही है या सुनवाई में कोई परेशानी आ रही है, तो आप अपनी सुरक्षा और कानून के दायरे में रहते हुए वीडियो बना सकते हैं, लेकिन इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है:
कानूनी अनुमति:
भारत में, पुलिस स्टेशन या सरकारी स्थानों पर रिकॉर्डिंग करने के नियम हर राज्य और स्थिति के आधार पर अलग हो सकते हैं। किसी भी सार्वजनिक स्थान पर वीडियो बनाते समय स्थानीय नियमों का पालन करें
साक्ष्य के रूप में उपयोग:
अगर आप महसूस करते हैं कि आपकी शिकायत नहीं सुनी जा रही है या आपके साथ गलत व्यवहार हो रहा है, तो वीडियो एक साक्ष्य के रूप में मददगार हो सकता है। यह दिखाने के लिए कि आपकी समस्या पर कार्रवाई नहीं हो रही है।
आदर्श व्यवहार:
वीडियो बनाते समय सुनिश्चित करें कि आपका व्यवहार अनुशासित और सम्मानजनक हो। इससे आपकी शिकायत को गंभीरता से लिया जाएगा ।
उच्च अधिकारियों से संपर्क:
अगर वीडियो बनाने के बाद भी आपकी सुनवाई नहीं होती, तो आप उस वीडियो के साथ उच्च अधिकारियों, मानवाधिकार आयोग, या कोर्ट में अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
इसलिए, वीडियो बनाने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि यह कानून के दायरे में हो और आपकी सुरक्षा से समझौता न हो।
🙏✍️✍️पोस्ट बाय: विश्वामित्र अग्निहोत्री
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विश्वमित्र अग्निहोत्री सह संपादक विधिक आवाज समाचार समूह |