शिमला में मस्जिद के बाहर प्रदर्शन, अवैध बता हटाने की मांग, जानिए क्या है पूरा मामला


हिमाचल प्रदेश वक्फ बोर्ड ने शनिवार को शिमला की एक कोर्ट में कहा कि संजौली कॉलोनी में बनी मस्जिद उसकी जमीन पर है लेकिन उसे इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि ‘अतिरिक्त चार मंजिलों का निर्माण किसने किया है।’ वक्फ बोर्ड की तरफ से कोर्ट में यह भी कहा गया कि यह मामला मस्जिद की वैधता का नहीं बल्कि उसकी जमीन पर पहले से मौजूद बिल्डिंग पर अतिरिक्त मंजिलों के निर्माण का है। इस मामले में संजौली के कुछ लोगों ने पार्टी बनने की मांग करते हुए एक एप्लीकेशन दी है।

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द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में बताया गया है कि वक्फ बोर्ड और लोकल लोगों द्वारा शिमला म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन कमिश्नर कोर्ट  में यह दलीलें दी गईं। दोनों पार्टियों को सुनने के बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 5 अक्टूबर फिक्स की है।

संजौली के लोकल निवासियों के वकील जगत पाल ने दलील दी कि जिस जमीन पर मस्जिद का निर्माण हुआ है, वह राज्य सरकार के राजस्व विभाग की है और वक्फ बोर्ड अतिक्रमणकारी है। उन्होंने यह भी दलील दी कि वक्फ बोर्ड भूमि के मालिकाना हक से संबंधित कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाया है। स्थानीय निवासियों द्वारा दी गई एक अन्य एप्लीकेशन में धार्मिक स्ट्रक्चर की वजह वजह से आने वाले मुश्किलों के बारे में बताया गया है।

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वकील जगत पाल ने कहा कि उन्हें इस मामले में शामिल होने के लिए इसलिए मजबूर होने पड़ा क्योंकि यह मामला पिछले 14 सालों से म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन कमिश्नर कोर्ट में लंबित है और साल 2023 में वक्फ बोर्ड इसमें एकमात्र पार्टी था। वकील की तरफ से कहा गया कि यह साम्प्रदायिक मसला नहीं है बल्कि अवैध निर्माण का मसला है और मस्जिद गिराई जानी चाहिए।
मस्जिद न तोड़ी जाए, वक्फ बोर्ड की अपील
वक्फ बोर्ड की तरफ से पेश हुए वकील भूप सिंह ठाकुर ने दलील दी कि उन्हें फर्स्ट फ्लोर के कंट्रक्शन प्लान की जानकारी है लेकिन यह नहीं पता कि किसने चार अतिरिक्त फ्लोर्स का निर्माण किया। वक्फ बोर्ड की तरफ से कोर्ट में अपील की गई कि मस्जिद को न गिराया जाए और उसके कंस्ट्रक्शन प्लान को अप्रूव कर दिया जाए। वक्फ बोर्ड के स्टेट ऑफिसर कुतुबुद्दीन अहमद ने दावा किया कि जमीन वक्फ की संपत्ति है। उन्होंने भी माना कि रिकॉर्ड में सिर्फ एक सिंगल स्टोरी मस्जिद है और उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि किसने अवैध निर्माण करवाया।

कुतुबुद्दीन अहमद ने कहा कि म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन कमिश्नर कोर्ट ने वक्फ बोर्ड को 2023 में नोटिस भेजा था और आखिरी सुनवाई में उसका जवाब दिया गया था। उन्होंने कहा कि उसके बाद एक और समन दिया गया, जिसका जवाब आज हमने वकील जरिए दिया।
कोर्ट ने पूछा- सिंगल स्टोरी मस्जिद पांच मंजिला इमारत में कैसी बदली?
उन्होंने पत्रकारों से कहा कि यह विवाद स्वामित्व को लेकर नहीं बल्कि धार्मिक स्थल के आगे के विकास से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड्स के अनुसार, जब शिमला पंजाब का हिस्सा थी, तब वक्फ बोर्ड इस जमीन का मालिक बना। उन्होंने कहा कि मस्जिद में नमाज पढ़ी जाती रहेगी। कोर्ट में दलीलें सुनते से समय वक्फ कोर्ट ने वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी से पूछा कि कैसे एक सिंगल स्टोरी मस्जिद पांच मंजिला इमारत में बदल गई। यह इस मामले में 45वीं सुनवाई थी।
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